नई दिल्ली, 12 अक्टूबर। खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून के खिलाफ काररवाई में केंद्र को इंटरपोल से झटका लगा, जब उसने पन्नून के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस निकालने का भारत अनुरोध ठुकरा दिया। पन्नून के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस के लिए भारत की ओर से दूसरी बार प्रयास किया गया था। कनाडा आधारित पन्नून खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ग्रुप का संस्थापक और कानूनी सलाहकार है।
इंटरपोल का कथन – भारत पर्याप्त जानकारी प्रदान करने में विफल
अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार इंटरपोल ने संभवत: यह कहते हुए भारत का अनुरोध ठुकराया है कि भारत इस मामले में पर्याप्त जानकारी प्रदान करने में विफल रहा है। सूत्रों के अनुसार इंटरपोल ने यह भी कहा कि यूएपीए की, जिसके तहत रेड कॉर्नर के लिए गुजारिश की गई थी, आलोचना अल्पसंख्यक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए होती रही है।
पन्नून को एक ‘हाई-प्रोफाइल सिख अलगाववादी‘ मानता है इंटरपोल
हालांकि इंटरपोल ने स्वीकार किया कि पन्नून एक ‘हाई-प्रोफाइल सिख अलगाववादी’ है और एसएफजे एक ऐसा समूह है, जो स्वतंत्र खालिस्तान की मांग करता है। फिर भी उन्होंने कहा, यह निष्कर्ष अभी तक निकला है कि पन्नून की गतिविधियों एक ‘स्पष्ट राजनीतिक पहलू’ है, जो इंटरपोल के संविधान के अनुसार रेड कॉर्नर नोटिस का विषय नहीं हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत के अनुरोध के बाद पन्नून द्वारा दायर एक आवेदन पर फैसला सुनाने और भारतीय अधिकारियों से प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करने के बाद इंटरपोल ने अगस्त में भारत को अपने फैसले से अवगत करा दिया था। सूत्रों ने बताया कि जून के अंत में आयोजित एक सत्र के दौरान इंटरपोल की आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि भारत के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा ‘अपराध की आतंकवादी प्रकृति’ और पन्नून की ‘संभावित आतंकी गतिविधियों में भागीदारी’ दिखाने के लिए ‘अपर्याप्त जानकारी’ दी गई है।
एनसीबी दरअसल सीबीआई के तहत काम करता है, और भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए रेड कॉर्नर नोटिस अनुरोधों के लिए इंटरपोल से समन्वय करता है। पन्नून के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से एनसीबी द्वारा 21 मई, 2021 को रेड कॉर्नर नोटिस के लिए अनुरोध किया गया था। एसजेएफ पर भारत ने पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है।