बेंगलुरु, 24 सितम्बर। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) और भारतीय जनता पार्टी के बीच हुए समझौते को अभी दो दिन भी नहीं हुए कि जेडीएस को आघात सहना पड़ा, जब पार्टी के एक वरिष्ठ नेता सैयद शफीउल्ला ने इस फैसले के प्रति नाराजगी जताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया
उल्लेखनीय है कि पार्टी सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा ने बीते शुक्रवार को एलान किया था कि कर्नाटक में उनकी पार्टी भाजपा के साथ खेमेबंदी करके 2004 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी। उसके बाद ही जेडीएस उपाध्यक्ष सैयद शफीउल्ला ने पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी।
शफीउल्ला ने पद से इस्तीफा देते हुए कहा, ‘जेडीएस, एनडीए के साथ गठबंधन करके एक ऐसे गुट में शामिल हो गई है, जो समुदायों और जातियों के बीच दरार पैदा करती है। मैं पिछले 30 वर्षों से जेडीएस के साथ था। हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष साख पर कायम है और हमने अपने मतदाताओं और आम जनता के बीच हमेशा उन सिद्धांतों का प्रचार किया है।’
उन्होंने कहा, ‘अब यदि मेरी पार्टी एक ऐसी पार्टी से हाथ मिला रही है, जो समुदायों और जाति के बीच दरार पैदा करती है। जो धर्म के आधार पर चुनावी प्रचार करती है और सांप्रदायिक एजेंडे पर काम करती है, तो धर्मनिरपेक्ष नेता होने के नाते हम इसका विरोध करते हैं।’
‘लोगों के बीच नफरत पैदा करने वाली भाजपा से सहमत नहीं होंगी धर्मनिरपेक्ष ताकतें‘
इतना ही नहीं कर्नाटक में भाजपा शासन के दौरान घटी घटनाओं का परोक्ष हवाला देते हुए शफीउल्ला ने कहा, ‘जिस तरह से हमने कर्नाटक में भाजपा का शासन देखा है, उस तरह से हमारे देश की प्रगति नहीं होगी। धर्मनिरपेक्ष ताकतें भाजपा से सहमत नहीं होने वाली हैं क्योंकि ये लोगों के बीच दरार पैदा करती है।’
उन्होंने कहा कि जेडीएस-भाजपा गठबंधन में उनका रह पाना बेहद मुश्किल है। शफीउल्ला ने कहा, ‘मेरे लिए यह बेहद मुश्किल है, यहां तक कि यह जीवित रहने के लिए भी मुश्किल है। देश में जिस तरह की मानसिक स्थिति और नफरती माहौल है, मेरे जैसे लोगों को पार्टी के प्रसार के साथ तालमेल बैठाना मुश्किल लगता है।’