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शिवसेना की कार्यकारिणी में फैसला – बालासाहेब ठाकरे के नाम का उपयोग करने वालों पर होगी कठोर काररवाई

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मुंबई, 25 जून। पिछले एक सप्ताह से राजनीतिक भंवर में फंसे पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच शिवसेना ने स्पष्ट तौर पर चेतावनी दे दी है कि किसी को भी नया समूह बनाने के लिए पार्टी या बालासाहेब ठाकरे के नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

दरअसल, शनिवार को यहां सत्तारूढ़ शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई, जिसमें कुल छह प्रस्ताव पास किए गए। छठे प्रस्ताव में कहा गया है कि बालासाहेब ठाकरे का नाम अगर कोई अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है तो यह पार्टी को मंजूर नहीं और उस पर कानूनी काररवाई की जाएगी।

शिवसेना के साथ गद्दारी या बेईमानी करने वालों पर कठोर काररवाई का प्रस्ताव पास

उद्धव ठाकरे के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए। बैठक के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, ‘जिन लोगों ने, चाहे वे कितने भी बड़े नेता हों, शिवसेना के साथ गद्दारी या बेईमानी की है, उन पर कठोर काररवाई करने के सर्वाधिकार हमने एक प्रस्ताव के माध्यम से उद्धव ठाकरे साहब को दिए हैं।’

बागी विधायक दीपक केसरकर ने कहा – हम भी उस संगठन के सदस्य हैं, कल भी रहेंगे

वहीं बागी विधायक दीपक केसरकर ने कहा, ‘उनका संगठन कोई नहीं तोड़ रहा है, हम भी उस संगठन के सदस्य हैं, कल भी रहेंगे। जब उद्धव ठाकरे को हकीकत का पता चलेगा, तब वह शायद यह निर्णय लें कि हमने जो किया था, वो लोगों को सही नहीं लग रहा तो हम अपना निर्णय बदलते हैं। वह नेता हैं, कुछ भी कर सकते हैं।’

इसके पूर्व दिन में संजय राउत ने कहा था कि उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जो लोग छोड़कर गए हैं, वे शिवसेना के नाम से वोट मत मांगें और अगर वोट मांगते हैं तो अपने खुद के बाप के नाम पर मांगे। शिवसेना के बाप बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट मत मांगे।

राउत के बयान पर दीपक केसरकर ने कहा, ‘उन्होंने (संजय राउत) जो बात कही, हम इस बारे में जरूर सोचेंगे। हमारा नाम तो शिवसेना ही है, अगर उन्हें लगता है कि उसमें कुछ नहीं जोड़ना तो हम उसको शिवसेना बोलेंगे, हम उनका आदर करेंगे।’

‘सीएम अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाएं और सुनिश्चित करें कि हिंसा न हो’

महाराष्ट्र में बागी विधायकों के कार्यालयों और आवासों पर हमलों की घटनाओं का जिक्र करते हुए केसरकर ने कहा, ‘हम मुख्यमंत्री से यह भी कहना चाहते हैं कि वह अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाएं और सुनिश्चित करें कि हिंसा न हो। हम वापस आने में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं क्योंकि अपराधियों के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की जा रही है।’

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