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शिंदे का ‘विज्ञापन दांव’ पड़ा उलटा? भाजपा आलाकमान ने याद दिलाई लक्ष्मण रेखा, नए विज्ञापन में फडणवीस भी दिखे

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मुंबई, 14 जून। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने विज्ञापन विवाद को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अगुआई वाली शिवसेना को कड़ा संदेश भेजा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व ने शिंदे सरकार को चेतावनी दी है कि वह लक्ष्मण रेखा पार न करे।

सूत्रों पर भरोसा करें तो एकनाथ शिंदे को भाजपा के सीनियर नेता और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कमजोर दिखाने की कोशिश से बचने को कहा गया है। सूत्र ने कहा, ‘भाजपा आलाकमान ने शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली शिवसेना की ओर से प्रकाशित विज्ञापन पर अपनी नाराजगी के बारे में बताया। इसमें महाराष्ट्र में शिंदे को फडणवीस से अधिक लोकप्रिय बताया गया था।’

मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस की तुलना में शिंदे ज्यादा लोगों को पसंद, शिवसेना के विज्ञापन पर पवार-राउत ने कसा तंज

सूत्र ने कहा, ‘भाजपा ने पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे गुट के साथ गठबंधन किया था। इस दौरान शिंदे को सीएम पद देकर पुरस्कृत करने का फैसला हुआ। इस फैसले से भाजपा नेता और महाराष्ट्र में पार्टी कैडर परेशान हो उठे। ये भाजपा से जुड़े वे लोग थे, जो फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते थे। हालांकि, भाजपा आलाकमान ने अपने गठबंधन सहयोगियों को जोरदार संदेश देने का मन बनाया।’

वैसे 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा का मानना ​​है कि वह अकेले राजनीतिक चुनौतियों का सामना नहीं कर सकती। ऐसे में उसे शिंदे सेना पर निर्भर रहना होगा। साथ ही, शिंदे की शिवसेना के साथ दबदबे को लेकर संतुलन को बनाए रखने पर भी पूरा जोर रहेगा।

उल्लेखनीय है कि महाष्ट्र के प्रमुख अखबारों में मंगलवार को प्रकाशित एक पन्ने के विज्ञापन में सर्वे के हवाले से मुख्यमंत्री पद के लिए शिंदे को फडणवीस की तुलना में अधिक लोगों की पसंद बताया गया था। ‘राष्ट्र में मोदी, महाराष्ट्र में शिंदे सरकार’ शीर्षक वाले विज्ञापन में फडणवीस या शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की तस्वीरें भी नहीं थीं। इस पर विपक्ष ने कटाक्ष करते हुए दावा किया था सत्तारूढ़ भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना के बीच सबकुछ ठीक नहीं है।

नए विज्ञापन से डैमेज कंट्रोल की कोशिश

फिलहाल ‘विवादित विज्ञापन’ के प्रकाशित होने के एक दिन बाद राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन से जुड़ा एक दूसरा विज्ञापन बुधवार को मराठी अखबारों में छपा, जिसमें शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भी तस्वीरें हैं। नए विज्ञापन में शिंदे के राजनीतिक गुरु माने जाने वाले आनंद दिघे के साथ फडणवीस और बाल ठाकरे की तस्वीरें हैं। इसमें राज्य सरकार में शामिल शिवसेना के अनेक मंत्रियों के भी चित्र हैं।

मराठी दैनिक अखबारों में बुधवार को प्रकाशित एक सर्वेक्षण के हवाले से भी दावा किया गया है कि महाराष्ट्र में 49.3 प्रतिशत मतदाता भाजपा और शिवसेना को पसंद करते हैं। इसमें कहा गया कि 84 प्रतिशत मतदाताओं को लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व ने देश को विकास की दृष्टि दी है और 62 प्रतिशत मानते हैं कि ‘डबल इंजन’ की सरकार राज्य में विकास कार्य तेजी से कर रही हैं।

UBT शिवसेना ने सरकार के गिरने का किया दावा

इस बीच शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि नया विज्ञापन फडणवीस की नाराजगी का नतीजा है। उन्होंने कहा, ‘यह तो साफ हो गया है कि उनके दिमाग में क्या है। लेकिन सबकुछ ठीक नहीं है। सरकार ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगी। शिंदे और भाजपा के बीच छद्म युद्ध चल रहा है।’

सुप्रिया सुले बोलीं – लगता है कि नए विज्ञापन का डिजाइन दिल्ली से आया था

वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले की भी इस पर प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि सर्वे किसने किया और नमूने का आकार कितना था। उन्होंने कहा, ‘मैं उन शुभचिंतकों को खोज रही हूं, जिन्होंने अखबारों में करोड़ों रुपये के विज्ञापन दिए। मुझे लगता है कि आज का डिजाइन दिल्ली से आया था और इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता।’

NCP ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन पर उठाए सवाल

बुधवार को नया विज्ञापन किसके इशारे पर जारी किया गया होगा, इस सवाल पर राकांपा नेता ने कहा, ‘दिल्ली से एक अदृश्य हाथ ने।’ एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने नए विज्ञापन को मंगलवार को जारी इश्तहार का संशोधित संस्करण करार दिया। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र की जनता की जिज्ञासा यह जानने में होगी कि भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना के बीच संबंध कितने मधुर हैं।’

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने कहा कि भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना को जनता के समर्थन का इतना ही भरोसा है तो उन्हें तत्काल चुनाव कराने चाहिए। पवार ने कहा कि बुधवार के विज्ञापन में जितने मंत्रियों की तस्वीरें छपी हैं, उनमें ज्यादातर विवादास्पद हैं।

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