लखनऊ, 13 मई। देश में लगातार दूसरे वर्ष कोरोना की दुश्वारियों के बीच ईद-उल-फितर का त्योहार शुक्रवार को मनाया जाएगा। ईद से पहले देश में कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुए उलमा भी सतर्क नजर आ रहे हैं। इसी क्रम में सुन्नी उलमा के बाद शिया धर्मगुरु ने भी मुसलमानों से अपील करते हुए ईद को बेहद सादगी से मनाने की अपील की है और कहा है कि इस ईद अपने से ज्यादा दूसरे की खुशियों का ख्याल रखा जाए।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी कोरोना की पहली लहर के बीच रमजान माह में देशभर में पूर्ण लॉकडाउन लागू था और लोगों ने अपने घरों में ही सादगी से ईद मनाई थी। इस बार कोरोना की कहीं ज्यादा खतरनाक दूसरी लहर में राष्ट्रव्पायी लॉकडाउन तो नहीं लगाया गया, फिर भी ज्यादातर राज्यों में कोरोना कर्फ्यू या लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं।
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, ‘जिस तरीके से यह महीना गुजरा है, इससे पहले कभी ऐसा रमजान नहीं आया। पूरे महीने सबने कोरोना के चलते लाशों को उठाया और अपने बीच से करीबियों को इस महामारी में खोया है। हम हजरत अली का ताबूत भी नहीं उठा पाए। ऐसे में महामारी के कहर को देखते हुए ईद भी सादगी से मनाई जाए।’
मौलाना ने मुस्लिम समुदाय से अपील करते हुए कहा कि इस बार ईद पर नया लिबास न बनवाएं बल्कि उसका पैसा गरीब को दें। इस्लाम में फित्रा अदा करना वाजिब है, इसलिए फित्रे का पैसा जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाए।
उन्होंने कहा कि बेहतरीन ईद वह होगी, जब किसी का पड़ोसी भूखा न सोए। लिहाजा हर मुसलमान को अपनी ईद से पहले अपने पड़ोसियों का ख्याल करना चाहिए और हर मुमकिन मदद करनी चाहिए।