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आडवाणी की तारीफ कर शशि थरूर फिर विवादों में घिरे, कांग्रेस ने उनके बयान से किया किनारा

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नई दिल्ली, 9 नवम्बर। कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। दरअसल, इस बार थरूर पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने के साथ उनकी राजनीतिक विरासत का समर्थन करके विवादों में घिर गए हैं।

कांग्रेस पार्टी ने रविवार को शशि थरूर द्वारा आडवाणी की तारीफ में की गई टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया। पार्टी ने कहा कि वह अपनी बात खुद कहते हैं और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य के रूप में उनका ऐसा करना पार्टी की लोकतांत्रिक और उदार भावना को दर्शाता है।

विपक्षी दल की यह टिप्पणी तब आई, जब थरूर ने आडवाणी को जन्मदिन की बधाई देने पर हुई आलोचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वरिष्ठ भाजपा नेता की लंबी सेवा को एक घटना तक सीमित करना, चाहे वह कितनी भी महत्वपूर्ण क्यों न हो, अनुचित है।

तिरुवनंतपुरम के सांसद ने यह भी कहा, ‘जब जवाहरलाल नेहरू के करिअर की समग्रता का आकलन चीन की विफलता और इंदिरा गांधी के करिअर का आकलन केवल आपातकाल से नहीं किया जा सकता, तो मेरा मानना है कि हमें आडवाणी जी के प्रति भी यही शिष्टाचार दिखाना चाहिए।’

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘हमेशा की तरह, डॉ. शशि थरूर अपनी बात कह रहे हैं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उनके हालिया बयान से खुद को पूरी तरह अलग करती है।’ खेड़ा ने यह भी कहा, ‘कांग्रेस सांसद और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य के रूप में उनका ऐसा करना कांग्रेस की विशिष्ट लोकतांत्रिक और उदारवादी भावना को दर्शाता है।’

इस घटनाक्रम की शुरुआत शनिवार को थरूर द्वारा आडवाणी को उनके जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ हुई। कांग्रेस नेता ने एक्स पर कहा, ‘आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी को उनके 98वें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं! जनसेवा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, उनकी विनम्रता और शालीनता, और आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अमिट है।’ उन्होंने आडवाणी को एक सच्चे राजनेता के रूप में वर्णित किया, जिनका सेवा जीवन अनुकरणीय रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय हेगड़े ने एक्स पर थरूर के पोस्ट के जवाब में लिखा, “क्षमा करें थरूर, इस देश में ‘घृणा के बीज’ बोना जनसेवा नहीं है।” इस पोस्ट का जवाब देते हुए थरूर ने कहा, ‘सहमत हूं, लेकिन उनकी लंबी सेवा को एक घटना तक सीमित करना, चाहे वह कितनी भी महत्वपूर्ण क्यों न हो, अनुचित है। नेहरूजी के करिअर की समग्रता का आकलन चीन की विफलता से नहीं किया जा सकता, न ही इंदिरा गांधी के करिअर का आकलन सिर्फ आपातकाल से किया जा सकता है। मेरा मानना ​​है कि हमें आडवाणीजी के प्रति भी यही शिष्टाचार दिखाना चाहिए।’

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