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15 अक्टूबर से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि, इस बार मां हाथी पर होंगी सवार! जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

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लखनऊ, 5 अक्टूबर। नवरात्रि साल में 4 बार पड़ती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन। आश्विन की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के वातावरण से तमस का अंत होता है, नकारात्मक माहौल की समाप्ति होती है। शारदीय नवरात्रि से मन में उमंग और उल्लास की वृद्धि होती है। दुनिया में सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है इसलिए नवरात्रि में देवी की उपासना ही की जाती है और देवी शक्ति का एक स्वरूप कहलाती है, इसलिए इसे शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है।

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसे नवदुर्गा का स्वरूप कहा जाता है। हर स्वरूप से विशेष तरह का आशीर्वाद और वरदान प्राप्त होता है। साथ ही साथ आपके ग्रहों की दिक्कतों का समापन भी होता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा और दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 15 अक्टूबर को रात 12 बजकर 32 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि इस बार 15 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 48 मिनट ही रहेगा।

घटस्थापना तिथि- रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक

15 अक्टूबर 2023 – मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
16 अक्टूबर 2023 – मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
17 अक्टूबर 2023 – मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
18 अक्टूबर 2023 – मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
19 अक्टूबर 2023 – मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
20 अक्टूबर 2023 – मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
21 अक्टूबर 2023 – मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
22 अक्टूबर 2023 – मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी
23 अक्टूबर 2023 – महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
24 अक्टूबर 2023 – मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)

इस वर्ष मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं ऐसे में इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे हैं कि, इससे सर्वत्र सुख संपन्नता बढ़ेगी। इसके साथ ही देश भर में शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों में सफलता मिलेगी। यानी कि पूरे देश के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होने वाली है।

सप्त धान्य (7 तरह के अनाज), मिट्टी का एक बर्तन, मिट्टी, कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल), पत्ते (आम या अशोक के), सुपारी, जटा वाला नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, पुष्प।

नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन लोग अपने सामर्थ्य अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है। हिन्दू धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है और कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है। कलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर रख दें।

इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें। कलश में सात तरह के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजा लें। इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर स्थापित करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इस दौरान अखंड ज्योति अवश्य प्रज्वलित करें. अंत में देवी मां की आरती करें और प्रसाद को सभी लोगों में बाट दें।

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