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शारदीय नवरात्रि – जानें तिथि, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्व

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शारदीय नवरात्रि पर्व पितृ पक्ष के समाप्त होने के बाद मनाया जाता है। मां शक्ति की आराधना का यह पर्व आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक चलता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की विधि-विधान से उपासना की जाती है। नौ दिनों तक व्रत रखे जाते हैं। शुभ मुहूर्त में घटस्थापना कर इस पावन पर्व की शुरूआत की जाती है और पर्व का अंत कन्या पूजन से किया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर्व 26 सितम्बर से शुरू होकर चार अक्टूबर तक चलेगा।  

घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 26 सितम्बर 2022 को सुबह 6.11 बजे से लेकर 7.51 बजे तक रहेगा। इसके अलावा उसी दिन अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.06 बजे से 12.54 बजे तक है।

सबसे पहले घर में उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा स्थल का चयन करें। उसे पोछा लगाकर गंगाजल से साफ-सुथरा करें। इसके बाद मां की चौकी बिछाएं। इस पर लाल कपड़ा बिछाकर मां की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद कलश स्थापना करें। नारियल में चुनरी लपेट दें और कलश के मुख पर मौली बांधें। कलश में जल भरकर लौंग का जोड़ासुपारीहल्दी की गांठदूर्वा और एक रूपये का सिक्का डालें। अब कलश के मुख पर पांच आम के पत्ते लगाकर उस पर नारियल रखें। इस कलश को मां की प्रतिमा के ठीक दायीं ओर स्थापित करें। इस प्रक्रिया के बाद मंत्र सहित मां दुर्गा का आवाह्न करें।   

हिन्दू मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती हैजो अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। नवरात्रि का हर दिन देवी के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरूप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से शारदीय नवरात्रि व्रत को करता है, मां दुर्गा उसके समस्त प्रकार के कष्टों को हर लेती हैं और उसे सुखी और समृद्धशाली जीवन प्रदान करती हैं। इस व्रत से भक्तों की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।