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शारदीय नवरात्र सोमवार से : घटस्थापना के लिए 2 मुहूर्त शुभ, नवरात्र की संपूर्ण पूजा विधि और सामग्री लिस्ट

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नई दिल्ली, 21 सितम्बर। शारदीय नवरात्र का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। इस दौरान आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्र में भक्तजन व्रत भी रखते हैं। इस अवधि में भक्तजन कलश स्थापना करते हैं और घर में देवी दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं।

10 दिनों के नवरात्र का अद्भुत संयोग

इस वर्ष शारदीय नवरात्र 22 सितम्बर 2025, सोमवार से आरंभ हो रहा है। इस बार 10 दिनों के नवरात्र पर बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। यह अद्भुत संयोग लगभग नौ वर्षों बाद बन रहा है। इससे पहले 2016 में भी नवरात्र 10 दिनों का हुआ था। दरअसल इस बार चतुर्थी तिथि का मान दो दिन रहेगा, इसलिए इस बार नवरात्र 10 दिनों का होगा।

घटस्थापना के लिए 2 मुहूर्त शुभ

घटस्थापना विधि और सामग्री – नवरात्र में घटस्थापना के लिए आपको सबसे पहले एक कलश लेना है, जिसे साफ पानी और गंगाजल से भरें। कलश के अंदर थोड़ी मिट्टी, जौ के दाने, पांच आम या अशोक के पत्ते और नारियल रखें। इसके ऊपर लाल कपड़े में लपेटा नारियल रखकर मौली बांधें। कलश के चारों ओर फूल, अक्षत, हल्दी, लौंग, इलायची, सुपारी, कपूर और दीपक सजाएं। फिर घर के मुख्य स्थान पर चौकी पर कलश स्थापित करें और माता की फोटो या मूर्ति रखें।

नवरात्र पूजा विधि : सबसे पहले सुबह स्नान करें। इसके बाद घर के पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ और व्यवस्थित करें। गंगाजल का छिड़काव करें। पूजा स्थल की शुद्धि के बाद मां दुर्गा का अभिषेक करें। अभिषेक में गंगाजल, दूध, दही, शहद और जल का प्रयोग करें। अभिषेक करने से न केवल देवी प्रसन्न होती हैं, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और मानसिक स्थिरता भी आती है।

अभिषेक के पश्चात मां दुर्गा को अर्घ्य अर्पित करें। इसके साथ ही अक्षत (साबुत चावल), पुष्प और सिंदूर अर्पित करें। अक्षत को देवी के चरणों में डालना शुभ माना जाता है और यह लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। फूल अर्पित करने से वातावरण में सौंदर्य और शांति आती है, जबकि सिंदूर देवी की शक्ति और स्थायित्व का प्रतीक है।

इसके बाद नवरात्र के दौरान नवरात्र कथा या देवी चालीसा का पाठ करें। कथा और चालीसा के पाठ से मन का ध्यान देवी की ओर केंद्रित होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके बाद दीप और धूप के साथ आरती करें। अंत में मां को भोग अर्पित किया जाता है। भोग में सात्विक फल, मिठाई या हलवा शामिल होता है। भोग अर्पित करने के बाद इसे परिवार के सभी सदस्यों में वितरित किया जाता है।

पूजा सामग्री लिस्ट – गंगाजल, सुपारी, मौली, रोली, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, सिक्का, लाल कपड़ा, फूल, फूल माला, इलायची, लौंग, कपूर, अक्षत, हल्दी।

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