लखनऊ, 16 अक्टूबर। नवरात्रि के दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि नवरात्रि के हर दिन किसी एक कन्या का तो पूजन करना ही चाहिए। इन नौ दिनों में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इसी के साथ व्रती इन दोनों दिनों में कन्याओं को भोग लगाकर अपने व्रत का पारण भी करते हैं।
पंडित राजेश पाराशर ने बताया कि देवी पुराण के अनुसार देवराज इंद्र ने जब भगवान ब्रह्मा जी से भगवती को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने सर्वोत्तम विधि के रूप में कुमारी पूजन ही बताया। नौ कुमारी कन्याओं और एक कुमार को विधिवत घर में बुलाकर और उनके पांव धोकर रोली-कुमकुम लगाकर पूजा-अर्चना की जाती है. यही कारण है कि तब से आज तक नवरात्रि में कन्या पूजन किया जाता है।
- कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन सभी शुभ कार्यों का फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। कुमारी पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज़ प्राप्त होता है. इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है। होम, जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं मां दुर्गा इतनी खुश नही होती जितनी कन्या पूजन से होती हैं।
- क्या होता है कन्या पूजन में
नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन के बाद ही भक्त व्रत पूरा करते हैं। भक्त अपने सामर्थ्य के मुताबिक कन्याओं को भोग लगाकर दक्षिणा देते हैं। इससे माता प्रसन्न होती हैं. कन्या पूजन में दो से 11 साल की 9 बच्चियों की पूजा की जाती है।