लखनऊ, 28 सितंबर। आज बुधवार को शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है, नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती के अनुसार मां चंद्रघंटा बेहद सौम्य और शांत स्वरूप वाली है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को लेकर हिंदुओं में काफी जोश और उत्साह देखने को मिलता है। आदिशक्ति मां दुर्गा समय – समय पर दुष्टों का संहार करने के लिए अपना रूप बदल- बदल कर जन्म लेती रहती हैं।
- जानिए कब और कहां से हुई नावरात्रि की शुरुआत
दुर्गा पूजा की शुरुआत साल 1757 में अमीर बंगाली जमींदार राजा नबकृष्ण देव ने ब्रिटिश जनरल के स्वागत और सम्मान में नवरात्रि का आयोजन किया। जिसके बाद से अमीर और उच्च वर्ग के लोग अपने -अपने घरों में नवरात्रि की पूजा का आयोजन करने लगे। लेकिन उस समय नवरात्रि पूजन में समाज के सभी समुदाय और वर्ग के लोगों को जाने की आज्ञा नहीं थी। 20 वीं शदी में सभी जाति और वर्ग के लोगों ने अपने घरों में नवरात्रि की पूजा करना प्रारम्भ कर दिया। जिसे उस समय ‘सर्बोजनिन’ नाम दिया गया। कई लोग देवी को देश की आजादी और उसके स्वतंत्रता संग्राम में एक आइकॉन के रूप में भी देखते हैं।
दुर्गा पूजा को बंगाल में बेहद जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। बंगाल में जगह – जगह देवी के बड़े -बड़े पंडाल लगाए जाते हैं। दूर दूर से भक्तगण माता के दरबार ने अपनी हाजरी दर्ज कराने के लिए जाते हैं। नवरात्र के समय बंगाल के लोगों में एक अलग ही उत्साह और उमंग देखने को मिलता है।