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आरबीआई वित्तीय क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए नीतियां बनाने पर लगातार काम कर रहा : शक्तिकांत दास

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बेंगलुरु, 26 अगस्त। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय बैंक लगातार ऐसी नीतियां, प्रणालियां और मंच तैयार करने पर काम कर रहा है जो वित्तीय क्षेत्र को मजबूत, जुझारू और ग्राहक केंद्रित बनाएंगे।

आरबीआई@90 पहल के तहत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना तथा उभरती प्रौद्योगिकियों पर वैश्विक सम्मेलन में दास ने यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के संबंध में आरबीआई द्वारा की जा रही विभिन्न पहलों का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि यूपीआई प्रणाली में सीमा पार धन प्रेषण के उपलब्ध माध्यमों के लिए एक सस्ता तथा त्वरित विकल्प बनने की क्षमता है और ‘‘ इसकी शुरुआत छोटे मूल्य के व्यक्तिगत धन प्रेषण से की जा सकती है, क्योंकि इसे शीघ्रता से क्रियान्वित किया जा सकता है।’’

संसद में जुलाई में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुसार, भारत में धन प्रेषण (जो सेवा निर्यात के बाद बाह्य वित्तपोषण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है) 2024 में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 124 अरब अमेरिकी डॉलर और 2025 में चार प्रतिशत बढ़कर 129 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। दास ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई@100 की ओर बढ़ने की यात्रा को लेकर काफी आशावादी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम लगातार ऐसी नीतियां, दृष्टिकोण, प्रणालियां और मंच तैयार करने पर काम कर रहे हैं जो हमारे वित्तीय क्षेत्र को अधिक मजबूत, गतिशील और ग्राहक केंद्रित बनाएंगे।’’ डीपीआई और उभरती प्रौद्योगिकियों के विषय पर उन्होंने कहा कि पिछले दशक में पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली में अभूतपूर्व प्रौद्योगिकी बदलाव हुआ है। सभी संकेतों से पता चलता है कि आने वाले वर्षों में यह प्रक्रिया और भी तेज हो सकती है।

डीपीआई को लेकर देश के अनुभव पर उन्होंने कहा, ‘‘ डीपीआई ने भारत को एक दशक से भी कम समय में वित्तीय समावेश के ऐसे स्तर को हासिल करने में सक्षम बनाया है, जिसे हासिल करने में अन्यथा कई दशक या उससे भी अधिक समय लग जाता।’’

डीपीआई व्यापक रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में निर्मित बुनियादी प्रौद्योगिकी प्रणालियों को संदर्भित करता है जो उपयोगकर्ताओं तथा अन्य डेवलपर के लिए खुले तौर पर उपलब्ध हैं। दास ने कहा, ‘‘ बैंकिंग सेवाओं के डिजिटलीकरण की इस यात्रा को जारी रखते हुए, पिछले साल हमने एक प्रौद्योगिकी प्लेटफ़ॉर्म का पायलट लॉन्च किया जो बिना किसी बाधा के ऋण उपलब्ध कराता है। अब से, हम इसे यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) कहने का प्रस्ताव करते हैं।’’

यूएलआई प्लेटफॉर्म विभिन्न डेटा सेवा प्रदाताओं से ऋणदाताओं तक विभिन्न राज्यों के भूमि रिकॉर्ड सहित डिजिटल जानकारी के निर्बाध तथा सहमति-आधारित प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है। इससे ऋण मूल्यांकन में लगने वाला समय कम हो जाता है, खासकर छोटे तथा ग्रामीण उधारकर्ताओं के लिए..।

गवर्नर दास ने कहा, ‘‘ ..शुरुआती चरण से प्राप्त अनुभव के आधार पर यूएलआई को राष्ट्रव्यापी स्तर पर जल्द ही पेश किया जाएगा।’’ कृत्रिम मेधा (एआई) और डीपीआई पर दास ने कहा कि ग्राहकों के लिए एआई अति-वैयक्तिकृत उत्पाद तथा तेज, अधिक प्रासंगिक सेवाएं प्रदान करने में सक्षम है। साथ ही वित्तीय संस्थानों के लिए इसमें जोखिम व धोखाधड़ी प्रबंधन के लिए उन्नत उपकरण, सुव्यवस्थित संचालन और कम अनुपालन लागत के लाभ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, ऐसी प्रगति गंभीर चुनौतियों के साथ आती है। व्यक्तिगत जानकारी के व्यापक भंडार को संभालने से डेटा गोपनीयता की चिंताएं उत्पन्न होती हैं। निष्पक्षता सुनिश्चित करने और पूर्वाग्रह की रोकथाम के वास्ते एआई के लिए नैतिक नीतियां आवश्यक हैं।’’

दास ने कहा कि एआई प्रौद्योगिकी का गलत इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने के लिए भी किया जा सकता है, जिससे डीपीआई के साथ-साथ अन्य डिजिटल प्रणाली को गंभीर नुकसान और व्यवधान हो सकता है। वे वित्तीय संस्थानों की प्रतिष्ठा और संचालन को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।’’

गवर्नर ने कहा, ‘‘ एआई प्रक्रियाओं को सरल तथा कुशल बनाने का वादा करता है। यह काफी हद तक निर्णय लेने की प्रक्रिया का अनुकरण भी कर सकता है। हालांकि, जब विनियमित वित्तीय संस्थानों की बात आती है, तो महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले क्षेत्रों में एआई को सावधानीपूर्वक अपनाया जाना चाहिए, उदाहरण के लिए ऋण स्वीकृति में… ।’’

दास ने कहा कि विभिन्न देशों में तीव्र भुगतान प्रणालियों के उभरने और केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के प्रयोग के साथ, सीमा पार भुगतान में अधिक दक्षता लाने की नई संभावनाएं खुल रही हैं। गवर्नर ने कहा कि ऐसी पहलों का अधिकतम लाभ इन्हें तैयार करते समय अंतर-संचालन सुनिश्चित करने से उठाया जा सकता है।

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