इस्लामाबाद, 10 अगस्त। चंद दिनों पहले ही भारत से बातचीत की गुजारिश करने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नेशनल अलेंबली भंग होने और इसके साथ ही प्रस्तावित चुनाव को देखते हुए कश्मीर राग फिर अलापना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि भारत के साथ दोस्ती तभी हो सकती है, जब कश्मीर की आजादी का मसला हल हो। उन्होंने भारत-पाकिस्तान जल विवाद का भी जिक्र किया और उसे भी हल करने की वकालत की।
एक निजी टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में शहबाज शरीफ से पूछा गया कि अगर आपको दोबारा हुकूमत मिलती है तो भारत के साथ कैसे संबंध रखना चाहेंगे। इस पर शहबाज शरीफ ने कहा कि कश्मीर के स्वीकार्य हल को तलाश किए बगैर भारत से दोस्ती नहीं हो सकती। उन्होंने पाकिस्तान के बाकी प्रधानमंत्रियों के जैसे ही आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी करार दिया और उनके मारे जाने को शहादत का झूठा नाम दिया। वह इतने पर ही नहीं रुके और कहा कि कश्मीरियों की आजादी के जनमत संग्रह का मसला हल हुए बिना भारत के साथ किस तरह ताल्लुकात नॉर्मल हो सकते हैं।
भारत-पाकिस्तान में गरीबी और बेरोजगारी का हवाला दिया
शहबाज शरीफ ने अपने पहले के बयानों पर सफाई देते हुए कहा, ‘मैंने इस ख्वाहिश का इजहार किया है कि हमें अच्छे हमसाए की तरह रहना चाहिए, लेकिन उसके जो तकाजे हैं, जो इश्यू हैं, जैसे कश्मीर को लेकर बात हुई, पानी का मसला है, इनको हल किए बगैर ये हालात किस तरह नॉर्मल हो सकते हैं। अगर नॉर्मल नहीं होंगे तो यह एक तरह की बदकिस्मती की बात है कि इस क्षेत्र में दो देश – जहां गरीबी भी है, बेरोजगारी भी है – अपनी ताकत उनकी खुशहाली और तरक्की के बजाए अपनी रक्षा के लिए और महंगी मशीने खरीदें। ये मुनासिब नहीं हैं।’