नई दिल्ली, 2 दिसम्बर। ओलम्पिक पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, पेरिस ओलम्पिक में इतिहास रचने वालीं विनेश फोगट व सत्यव्रत कादियान को तगड़ा झटका लगा, जब दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को इन शीर्ष पहलवानों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के दिसम्बर, 2023 के चुनावों को चुनौती दी थी।
अनीता श्योराण को हराकर WFI अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे संजय सिंह
दरअसल, बजरंग, साक्षी, विनेश और सत्यव्रत कई तारीखों पर अदालत में पेश नहीं हुए थे, लिहाजा अदालत ने उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं। उस समय संजय सिंह तीनों ओलम्पियनों के समर्थन वाली उम्मीदवार अनीता श्योराण को हराकर डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।
न्यायाधीश मिनी पुष्करना ने गत 27 नवम्बर को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान एक भी याचिकाकर्ता मौजूद नहीं था और पिछली दो सुनवाई में भी वे नहीं आए। अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘लगता है कि इस मामले को आगे ले जाने में याचिकाकर्ताओं की कोई रुचि नहीं है।’
पहलवानों ने WFI चुनाव को दी थी चुनौती
पहलवानों ने आरोप लगाया था कि डब्ल्यूएफआई चुनाव अच्छे और पारदर्शी माहौल में नहीं हुए थे। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में कमियों और अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। फिलहाल याचिकाकर्ताओं के बार-बार सुनवाई के दौरान पेश नहीं होने के कारण अदालत ने उनकी याचिका रद कर दी। इसके साथ ही WFI चुनावों के खिलाफ कानूनी चुनौती खत्म हो गई।
खिलाड़ी से राजनेता बन चुके हैं विनेश व बजरंग
इस मामले ने भारत के कुछ ख्यातिनाम पहलवानों के शामिल होने की वजह से ध्यान खींचा था, जो फेडरेशन के अंदर सुधार और जवाबदेही की मांग करते हुए 2023 के विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे। फिलहाल डब्ल्यूएफआई के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले इन पहलवानों में विनेश और बजरंग अब राजनेता बन चुके हैं। दोनों ने पिछले वर्ष हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले सितम्बर में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। बजरंग जहां अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिए गए थे वहीं विनेश मौजूदा समय हरियाणा विधानसभा में जुलाना सीट से कांग्रेस विधायक हैं। विधानसभा चुनाव में विनेश ने भाजपा के योगेश बैरागी को शिकस्त दी थी।

