मुंबई, 3 जुलाई। भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को बंपर खरीदारी दिखी और सेंसेक्स (SENSEX) और निफ्टी (NIFTY) दोनों ने एक बार फिर सर्वकालिक उच्च स्तर को छू लिया। इस क्रम में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स इतिहास में पहली बार 65,000 अंकों के पार पहुंचा।
सेंसेक्स में 486.49 अंकों की उछाल
सेंसेक्स 486.49 अंक यानी 0.75 फीसदी चढ़कर रिकॉर्ड 65,205.05 अंक पर बंद हुआ। कारोबारी सप्ताह के पहले दिन सेंसेक्स ने एक समय अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 65,300.35 अंक तक जा पहुंचा था।
निफ्टी भी रिकॉर्ड 19,322.55 अंक पर बंद
वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों वाले संवेदी सूचकांक निफ्टी में भी रिकॉर्ड तेजी बरकरार है। निफ्टी 133.50 अंक यानी 0.70 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 19,322.55 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के एक दौरान एक समय निफ्टी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 19,345.10 अंक तक जा पहुंचा था।
ये रही सेंसेक्स में तेजी की वजह
घरेलू शेयर बाजार को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाने में बड़ा योगदान हैवीवेट शेयरों में बढ़ी खरीददारों की दिलचस्पी, मेटल सेक्टर के शेयरों का रहा। मानसून की शुरुआत, एचडीएफसी बैंक और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प के विलय पूरा करने की घोषणा व जून डेरिवेटिव शृंखला की समाप्ति से बाजार को इस रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने में मदद मिली। अमेरिकी बाजार में हुई रैली से भी निवेशकों में सकरात्मक माहौल का भी बाजार को फायदा मिला। इसके चलते सभी सेक्टर हरे निशान पर रहे।
कब तक जारी रह सकती है यह तेजी?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह माहौल जारी रह सकता है। साल के अंत तक निफ्टी 21,000 के स्तर को छू सकता है। इसी तरह सेंसेक्स में भी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इसके बाद मामूली मुनाफा वूसली का दौर आ सकता है। यह समय मुनाफा वूसली कर क्वालिटी स्टॉक में पुन: निवेश करने के लिए अच्छा समय है।
सेंसेक्स को 60 से 65 हजार तक पहुंचने में लगे 438 दिन
सेंसेक्स की बात करें तो 30 शेयरों वाले इस सूचकांक में पिछले चार कारोबारी सत्रों के दौरान करीब तीन प्रतिशत की वृद्धि दिखने को मिली जबकि 8.5 प्रतिशत (60,000 से 65,000 तक) की वृद्धि 438 दिनों में दर्ज की गई।
सेंसेक्स ने 24 सितम्बर, 2001 को पहली बार 60,000 का आंकड़ा छुआ था। सूचकांक के लिए इससे पहले 5,000 अंकों की तेजी (55,000 से 60,000) महज 28 कारोबारी सत्रों में आ गई थी। हालांकि अक्टूबर, 2021 और जून, 2022 के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) से भारी बिकवाली ने बाजार पर दबाव बनाए रखा।
इन नौ महीनों के दौरान एफपीआई ने 256 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बिकवाली की क्योंकि बढ़ती महंगाई दर की वजह से अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा महामारी के बाद नीतिगत उपायों में बदलाव किया।
पिछले मार्च में सेंसेक्स गिरकर 57,085 पर चला गया था क्योंकि FPI द्वारा बिकवाली की तीव्रता जनवरी और फरवरी में फिर से बढ़ गई थी। हालांकि FPI निवेश में सुधार से 14 प्रतिशत या 8,117 अंक की तेजी को बढ़ावा मिला और इससे सेंसेक्स साल के निचले स्तर से तेजी से चढ़ गया।