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वरिष्ठ पत्रकार विद्युत ठाकर का 93 साल की उम्र में निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख

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नई दिल्ली, 7 जून। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विद्युत ठाकर का मंगलवार को 93 साल की उम्र में गुजरात के अहमदाबाद में निधन हो गया। वह लंबे वक्त से बीमारी चल रहे थे। विद्युत ठाकर के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा ”प्रख्यात राजनीतिक टिप्पणीकार विद्युत ठाकर के निधन का समाचार दुखद है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना एवं शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना…!ૐ शांति…!! बता दें कि विद्युत ठाकर का लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में मंगलवार को अहमदाबाद में निधन हो गया। रिवोई (रियल वॉयस ऑफ इंडिया) ने भी वरिष्ठ पत्रकार विद्युत ठाकर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।

बता दें कि गुजरात के शुरुआती पत्रकारों में से एक, ठाकर पिछले पचास वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय थे। वह गुजरात में रहने वाले दुर्लभ पत्रकारों में से एक थे, जिन्होंने 1960 में गुजरात राज्य के पहले विधानसभा सत्र को कवर किया था। ठाकर ने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत 1956 में प्रजा समाजवादी पक्ष द्वारा संचालित नवगुजरात दैनिक के उप संपादक के रूप में की थी।

ठाकर अपने करियर के दौरान राजनीतिक रूप से भी सक्रिय रहे। वह प्रजा समाजवादी पक्ष और बाद में कांग्रेस पार्टी के अहमदाबाद शहर इकाई सचिव थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में भाग लेने का फैसला करने के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। आपातकाल आंदोलन के दौरान, बिहार के महान नेता कर्पूरी ठाकुर प्रोफेसर गौतम की फर्जी पहचान के साथ नवरंगपुरा में अपने घर में रुके थे।

ठाकर महागुजरात आंदोलन में भी सक्रिय थे, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1960 में गुजरात राज्य का गठन हुआ। महागुजरात आंदोलन के दौरान उन्हें इंदुलाल याग्निक, देवेंद्र ओझा, ब्रह्मकुमार भट्ट, हरिहर खंभोलजा और अन्य लोगों के साथ एक महीने के लिए जेल जाना पड़ा।

ठाकर संक्षिप्त अवधि के लिए गुजरात लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष रहे थे। वह सदरा स्थित टीबी अस्पताल के ट्रस्टी रह चुके हैं। ठाकर इंदुलाल याग्निक, रतुभाई अडानी, सनत मेहता, जॉर्ज फर्नांडीस, चंद्रशेखर और चिमनभाई पटेल जैसे कई राजनीतिक नेताओं के करीबी थे।

विद्युत भाई ठाकर ने चार पुस्तकें लिखी थीं, चीन रस संघर्ष अणे भारत न सम्यवादी पक्ष, तंक नी कहानी, कच्छ न अक्रमण नू राजकरण और कश्मीर: समस्या इस्लामिक कतर्तानी। उन्होंने परिवर्तनक नाम से एक दैनिक भी शुरू किया था। कश्मीर पर उनकी पुस्तक का विमोचन वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने वर्ष 1988 में किया था।

वे गुजरात समाचार, दिव्य भास्कर, संदेश, संभव, अभियान और नवगुजरात समय सहित कई प्रकाशनों में स्तंभकार थे। उनके स्तम्भों के नाम उकेल मंगतो कोयदो और सम्प्रत थे। अपनी बीमारी के दौरान भी, वे गुजराती दैनिक नवगुजरात समय के लिए एक कॉलम लिख रहे थे। उन्हें रमनभाई शाह साधना पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।