लखनऊ, 20 अगस्त। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करीबी रहे सैयद सिब्ते रजी का शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 83 वर्षीय सिब्ते रजी की तबीयत बिगड़ने के बाद शुक्रवार को यहां किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में भर्ती कराया गया था। उनके निधन की खबर से पार्टी में शोक की लहर दौड़ गई।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर कुमार ने बताया कि पूर्व गवर्नर सैयद सिब्ते रजी को कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके द्विवेदी और अन्य डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया। उनकी तबीयत अचानक और खराब होने लगी। श्वांस फूलने लगी तो उन्हें ट्रॉमा सेंटर के क्रिटिकल केयर मेडिसिन डिपार्टमेंट में भर्ती कराया। लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका।
एनडीए के संख्या बल की अनदेखी कर शिबू सोरेन को दिलाई थी शपथ
झारखंड और असम के राज्यपाल रह चुके सैयद सिब्त कांग्रेस शासनकाल में भारत के उप गृह मंत्री भी रह चुके थे। झारखंड में राज्यपाल पद पर रहते उन्होंने मार्च, 2005 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संख्या बल की अनदेखी कर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को सरकार बनाने का न्यौता दिया था। हालांकि, भाजपा की शिकायत पर राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के हस्तक्षेप से रजी के फैसले को बदला गया था। इसके बाद अर्जुन मुंडा की अगुआई में एनडीए की सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ था।
तीन बार राज्यसभा के लिए चुने गए
उत्तर प्रदेश प्रदेश कांग्रेस के महासचिव रहे सिब्ते रजी तीन बार उच्च सदन के लिए चुने गए थे। वर्ष 1980 से 1985, वर्ष 1988 से 1992 और वर्ष 1992 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। गांधी परिवार के करीबी रहे सिब्ते रजी को वर्ष 2004 में झारखंड का राज्यपाल बनाया गया।
रायबरेली में जन्मे रजी को होटल में नौकरी भी करनी पड़ी थी
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में 7 मार्च, 1939 को जन्मे सैयद सिब्ते रजी ने वहीं हुसैनाबाद हायर सेकेंड्री स्कूल से 10वीं पास करने के बाद शिया कॉलेज में दाखिला लिया। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही वह छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए। जेब खर्च निकालने के लिए उन्हें होटल में अकाउंटेंट की नौकरी करनी पड़ी। लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकॉम की परीक्षा पास करने के बाद वह उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 1969 में युवा कांग्रेस में शामिल होने वाले रजी 1971 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए और फिर उन्होंने राजनीति में लंबा सफर तय किया।