नई दिल्ली, 3 अप्रैल। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी यासीन भटकल समेत और मोहम्मद दानिश अंसारी सहित 11 लोगों पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के मामले में आरोप तय किए हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक की अदालत ने माना कि सारे आरोपितों के खिलाफ देशद्रोह का केस चलाने के पर्याप्त सबूत हैं।
आरोपितों ने सूरत में न्यूक्लियर बम लगाने की भी योजना बनाई थी
अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आरोपित इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य थे और उन्होंने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आपराधिक साजिश रची। यासीन भटकल की चैट से पता चलता है कि आरोपितों की योजना बड़े पैमाने पर नुकसान करने की थी और सूरत में न्यूक्लियर बम लगाने की योजना का खुलासा होता है। अदालत ने यह भी कहा कि सूरत में जिस जगह धमाका किया जाना था, वहां से मुसलमानों को हटाने की योजना भी बनाई गई थी। भटकल ने आईइडी बनाने में भी मदद की।
भटकल को पहले ही सुनाई जा चुकी है फांसी की सजा
गौरतलब है कि उत्तरी कर्नाटक के भटकल गांव के रहने वाले यासीन भटकल को वर्ष 2013 में बिहार में नेपाल की सीमा से लगे इलाके से गिरफ्तार किया गया था। भटकल को हैदराबाद के दिलसुखनगर में वर्ष 2013 में हुए दोहरे बम विस्फोट में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। 21 फरवरी, 2013 को हैदराबाद के दिलसुखनगर में दो धमाके हुए थे, जिनमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने 13 दिसम्बर, 2016 को हुई सुनवाई में यासीन भटकल सहित मुजाहिदीन के पांच आतंकवादियों को हैदराबाद ब्लास्ट केस में दोषी करार दिया था।
भटकल और उसके साथियों पर ये भी आरोप है कि भारत के विभिन्न हिस्सों खासकर दिल्ली में बम विस्फोटों और आतंकवादी गतिविधियों के लिए इन लोगों ने बड़े पैमाने पर युवाओं की भर्ती भी की। भटकल और उसके साथियों ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों और स्लीपर सेल के सदस्यों की मदद भी ली थी।