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सामूहिक संकल्प के साथ 26 विपक्षी दलों की दूसरी बैठक संपन्न, अब मुंबई में होगी अगली बैठक

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बेंगलुरु, 18 जुलाई। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहे विपक्षी दलों की दूसरी बैठक मंगलवार को यहां सामूहिक संकल्प के साथ संपन्न हो गई। इस बैठक की खास उपलब्धि यह रही कि कांग्रेस की अगुआई में अब तक चले आ रहे यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन या यूपीए) का नाम बदलकर इंडिया (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इन्क्लूसिव एलायंस) कर दिया गया। यह प्रस्ताव कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पेश किया और इसका सभी दलों ने समर्थन किया।

मुंबई बैठक की तारीख जल्द घोषित की जाएगी

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक के बाद विपक्ष की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि अगली बैठक मुंबई में होगी। उस बैठक की तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए 11 सदस्यीय समन्वय समिति गठित की जाएगी। समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा मुंबई में की जाएगी।

विपक्षी एकता देखकर पीएम मोदी ने बुलाई बैठक

पीएम मोदी पर तंज कसते हुए खड़गे ने कहा, ‘हमारी एकता को देखकर मोदी जी ने 30 पार्टियों की बैठक बुलाई है। पहले वे अपने गठबंधन की बात तक नहीं करते थे, उनके यहां एक पार्टी के कई टुकड़े हो गए हैं और अब मोदी जी उन्हीं टुकड़ों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।’

पूरे मीडिया पर पीएम मोदी का कब्जा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘आज पूरे मीडिया पर पीएम मोदी का कब्जा हो गया है। उनके इशारे के बिना कोई नहीं चलता। अपने 52 साल के सक्रिय राजनीतिक करिअर में मैंने ऐसी प्रतिकूल स्थिति कभी नहीं देखी कि विपक्षी नेताओं (आवाज़) को दबाया जा रहा हो। विपक्ष के विधायकों को भाजपा में जाने और सरकार गिराने के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा या उन्हें रिश्वत दी जा रही है। हमें आपसी मतभेद भुलाकर केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ने की जरूरत है।’

सामूहिक संकल्प पत्र में INDIA ने क्या कहा

बैठक के बाद जारी सामूहिक संकल्प पत्र पर गौर करें तो उसमें लिखा गया है ‘भारत के 26 प्रगतिशील दलों के हस्ताक्षरित नेता, संविधान में निहित भारत के विचार की रक्षा के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हैं। हमारे गणतंत्र के चरित्र पर भाजपा द्वारा व्यवस्थित तरीके से गंभीर हमला किया जा रहा है। हम अपने देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। भारतीय संविधान के मूलभूत स्तंभों-धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र, आर्थिक संप्रभुता, सामाजिक न्याय और संघवाद-को व्यवस्थित रूप से और खतरनाक रूप से कमजोर किया जा रहा है। हम मणिपुर को तबाह करने वाली मानवीय त्रासदी पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। प्रधानमंत्री की खामोशी चौंकाने वाली और अभूतपूर्व है। मणिपुर को शांति और सुलह के रास्ते पर वापस लाने की तत्काल आवश्यकता है।’

राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर जारी हमले का दृढ़ता से मुकाबला करेंगे

वक्तव्य में आगे कहा गया है, ‘हम संविधान और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर जारी हमले का मुकाबला करने और उनका सामना करने के लिए दृढ़ हैं। हमारी राजनीति के संघीय ढांचे को जान बूझकर कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों और उपराज्यपालों की भूमिका सभी संवैधानिक मानदंडों से अधिक रही है। भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ एजेंसियों का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग हमारे लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है। गैर-भाजपा शासित राज्यों की वैध जरूरतों, आवश्यकताओं और अधिकारों को केंद्र द्वारा सक्रिय रूप से अस्वीकार किया जा रहा है।’

संकल्प पत्र में लिखा गया, ‘हम आवश्यक वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों और रिकॉर्ड बेरोजगारी के गंभीर आर्थिक संकट का सामना करने के अपने संकल्प को मजबूत करते हैं। विमुद्रीकरण अपने साथ एमएसएमई और असंगठित क्षेत्रों में अनकही दुर्दशा लेकर आया, जिसके परिणामस्वरूप हमारे युवाओं में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी आई। हम पसंदीदा मित्रों को देश की संपत्ति की लापरवाही से बिक्री का विरोध करते हैं। हमें एक मजबूत और रणनीतिक सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ एक प्रतिस्पर्धी और फलते-फूलते निजी क्षेत्र के साथ एक निष्पक्ष अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहिए, जिसमें उद्यम की भावना को बढ़ावा दिया जाए और विस्तार करने का हर अवसर दिया जाए। किसान और खेत मजदूर के कल्याण को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए।’

वक्तव्य में कहा गया, ‘हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पैदा की जा रही नफरत और हिंसा को हराने के लिए एक साथ आए हैं। महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और कश्मीरी पंडितों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए, सभी सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए एक निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हैं और पहले कदम के रूप में, जाति जनगणना को लागू करें।’

संकल्प पत्र में आगे कहा गया, ‘हम अपने साथी भारतीयों को निशाना बनाने, प्रताड़ित करने और दबाने के लिए भाजपा की प्रणालीगत साजिश से लड़ने का संकल्प लेते हैं। नफरत के उनके जहरीले अभियान ने सत्तारूढ़ दल और उसकी विभाजनकारी विचारधारा का विरोध करने वाले सभी लोगों के खिलाफ द्वेषपूर्ण हिंसा को जन्म दिया है। ये हमले न केवल संवैधानिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि उन बुनियादी मूल्यों को भी नष्ट कर रहे हैं जिन पर भारत गणराज्य की स्थापना हुई है-स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व और न्याय-राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक। भारतीय इतिहास का पुनर्निमाण और पुनर्लेखन करके सार्वजनिक विमर्श को दूषित करने के भाजपा के बार-बार प्रयास सामाजिक सद्भाव का अपमान हैं। हम राष्ट्र के सामने एक वैकल्पिक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक एजेंडा पेश करने का संकल्प लेते हैं। हम शासन के सार और शैली दोनों को बदलने का वादा करते हैं जो अधिक परामर्शात्मक, लोकतांत्रिक और सहभागी होगा।’