नई दिल्ली, 9 जून। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि भारत में मौजूदा समय 10 करोड़ से ज्यादा लोग मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित हैं।
यूके मेडिकल जर्नल ‘लासेंट’ में हाल ही में प्रकाशित ICMR के इस अध्ययन के अनुसार वर्ष 2019 में सात करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे जबकि वर्तमान समय में यह संख्या बढ़कर 10.1 करोड़ हो गई है। इसके बाद स्टेट के स्तर पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत बताई गई है।
उल्लेखनीय है कि अनियमित जीवन शैली और अनुवांशिक कारणों की वजह से आज भारत में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। डायबिटीज कम हो या ज्यादा, दोनों ही स्थितियों में रोगी की सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकता है। दरअसल, खून में जब ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा या कम होने लगती है तो उसे डायबिटीज रोग कहा जाता है जबकि प्री-डायबिटिक व्यक्ति वह होता है, जिसका ब्लड शुगर लेवल सामान्य से ज्यादा है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं है कि उसे टाइप-2 डायबिटीज की श्रेणी में रखा जा सके।
भारत की एक चौथाई आबादी डायबिटीज की चपेट में
ICMR की स्टडी के अनुसार अलार्मिंग डेटा बताता है कि भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को डायबिटीज हो चुकी है और 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबेटिक हैं। देश में 11.4% लोग डायबेटिक हैं और 15.3% प्री-डायबेटिक हैं। इसका मतलब है एक-चौथाई से अधिक लोग डायबिटीज की चपेट में आ चुके हैं और 35.4% लोगों को हाइपरटेंशन की समस्या है। इस सर्वे में 20 वर्ष और इसके अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया था।
मौजूदा समय गोवा में मधुमेह के सर्वाधिक मरीज
अध्ययन के अनुसार सबसे ज्यादा डायबिटीज रोगी अभी गोवा (26.4%) में है। हालांकि स्टडी में यह भी कहा गया है कि वर्तमान सममय में कम प्रसार वाले यूपी, एमपी, बिहार और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में आने वाले कुछ वर्षों में ‘डायबिटीज विस्फोट’ हो सकता है।
स्टडी के लेखक और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. रंजीत मोहन अंजना के अनुसार पुदुचेरी और दिल्ली में डायबिटीज और प्री-डायबिटीज रोगियों की संख्या लगभग बराबर है। ऐसे में यह बीमारी स्थिरता की स्थिति में है। लेकिन चिंता की बात यह है कि जिन राज्यों में डायबिटीज मरीजों की संख्या कम है, वहां वैज्ञानिकों को प्री-डायबिटिक लोगों की संख्या ज्यादा देखने को मिली है।
डॉक्टरों की मानें तो प्री-डायबेटिक लोगों में से एक तिहाई लोग अगले कुछ वर्षों में मधुमेह की चपेट में आने वाले हैं और बाकी एक तिहाई प्री-डायबिटिक बने रह सकते हैं। ऐसे में बचे हुए लोग हेल्दी डाइट, अच्छी जीवनशैली और एक्सरसाइज जैसी चीजों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके इस खतरे को दूर कर सकते हैं।
अच्छी सेहत के लिए स्वस्थ आहार और वर्कआउट जरूरी
डीजी आईसीएमआर डॉ. राजीव बहल के अनुसार डायबिटीज और प्री-डायबिटीज भारत में लोगों के बीच काफी प्रचलित हैं। ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि समाज में बदलाव लाते हुए इसे लोगों के बीच बढ़ने से कैसे रोका जाए ताकि हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और अन्य रोगों के जोखिम को कम किया जा सके। इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. राजीव बहल कहते हैं जीवन शैली में स्वस्थ आहार और वर्कआउट को शामिल करके भी व्यक्ति सेहतमंद बना रह सकता है।