नई दिल्ली, 30 नवंबर। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अदालत की अवमानना के दोषी भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की सजा तय करने के मामले में अब वह और अधिक इंतजार नहीं करेगा। शीर्ष अदालत ने इस क्रम में माल्या के खिलाफ सजा पर अगले वर्ष 18 जनवरी को सुनवाई करने का फैसला किया है।
माल्या को सिर्फ सजा देने के मामले की सुनवाई 4 वर्षों से लंबित
न्यायमूर्ति यू.यू. ललित, न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी पीठ ने मंगलवार को नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अदालती अवमानना के दोषी 65 वर्षीय माल्या को केवल सजा देने के मामले की सुनवाई चार वर्षों से लंबित है। उसे 2017 दोषी करार दिया गया था और तभी से यह मामला लंबित है।
केंद्र सरकार को बार-बार आदेश दिए जाने बावजूद दोषी को पेश नहीं किए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए पीठ ने कहा, ‘हम अब अधिक इंतजार नहीं कर सकते। माल्या पर निर्भर करता है कि उसे खुद या वकील के माध्यम से पेश होना है।’
माल्या 14 जुलाई, 2017 को अदालती अवमानना का दोषी करार दिया गया था
गौरतलब है शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई, 2017 को माल्या को दोषी करार दिया था। माल्या को अपने बच्चों के बैंक खातों में चार करोड़ अमेरिकी डॉलर के हस्तांतरण का खुलासा नहीं करने का दोषी पाया गया था। बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपये अधिक की देनदारी के विभिन्न मामलों में उसे बिना अदालती आदेश के अपने बैंक खाते से लेन-देन करने पर रोक लगाई गई थी। दोषी करार दिये जाने के बाद माल्या ने अगस्त 2020 में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी, जिसे खारिज दिया गया था।
सरकार की दलील – ब्रिटेन की कुछ कानूनी जटिलताओं के कारण प्रत्यर्पण में बाधा
शीर्ष अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को आदेश दिया था कि वह माल्या को अवमानना के इस मामले में अदालत में पेश करे, लेकिन सरकार की ओर से यह कहा गया था कि ब्रिटेन की कुछ कानूनी जटिलताओं के कारण उसके प्रत्यर्पण में बाधा आ रही है।
गौरतलब है कि विजय माल्या पर स्टेट बैंक समेत कई प्रमुख बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपये कर्ज लेकर उन्हें नहीं चुकाने समेत कई आरोप हैं। माल्या फिलहाल लंदन में रह रहा है। वहां की अदालत ने उसे जमानत दे दी थी। ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने भगोड़े कारोबारी के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था।
पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन के समक्ष प्रत्यर्पण का मामला उठाया था, लेकिन ब्रिटेन में शराब कारोबारी के खिलाफ गोपनीय काररवाई चलने का हवाला देते हुए उसके प्रत्यर्पण की काररवाई पर अमल नहीं किया जा सका।