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किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा – सड़कों पर यातायात को बाधित नहीं किया जा सकता

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नई दिल्ली, 23 अगस्त। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले नौ माह से भी ज्यादा समय से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के प्रदर्शन को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर कहा है कि सार्वजनिक सड़कों पर आवाजाही बाधित नहीं की जा सकती। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन को हटाने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की।

नोएडा निवासी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि सड़कों पर अवरोध के कारण ट्रैफिक बढ़ गया है और नोएडा से दिल्ली जाने में 20 मिनट की जगह दो घंटे लग जाते हैं। इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि किसानों द्वारा सड़कों को अवरुद्ध करने और यात्रियों के लिए असुविधा पैदा करने का समाधान, केंद्र और राज्य सरकारें ही कर सकती हैं।

इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि वह किसानों को समझाने के लिए बहुत प्रयास कर रही है और वर्तमान में यात्रियों के लिए वैकल्पिक मार्ग पर काम किया जा रहा है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों पर यातायात को बाधित नहीं किया जा सकता।

समस्या का समाधान खोजने के लिए यूपी सरकार को 20 सितम्बर तक और समय

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को समस्या का समाधान खोजने के लिए 20 सितम्बर तक का और समय दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि उसने किसानों को ‘सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध करने के घोर अवैध कार्य’ के संबंध में समझाने के लिए अथक प्रयास किए हैं क्योंकि इससे यात्रियों को गंभीर असुविधा होती है।

यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया कि मौजूदा समय दिल्ली की सीमाओं पर 141 टेंट, 31 लंगर और 800 से लेकर 1000 प्रदर्शनकारी हैं और आसपास के क्षेत्रों से बुलाए जाने पर लगभग 15,000 अन्य प्रदर्शनकारी घंटों के भीतर जुट जाते हैं।

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि भाषणों के लिए एक मंच भी स्थापित किया गया है और एक मीडिया केंद्र भी है। वर्तमान में स्थिति से निबटने के लिए गाजियाबाद, हिंडन और महाराजपुर सीमा से दिल्ली जाने वाले यात्रियों के लिए वैकल्पिक मार्ग संचालित किए जा रहे हैं।

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