नई दिल्ली, 6 मई। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से लड़ाई के बीच उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि महामारी की आशंकित तीसरी लहर में यदि बच्चे संक्रमित हो गए तो उस संकट से निबटने के लिए क्या उपाय किया जाएगा और उस स्थिति में उनके माता-पिता क्या करेंगे?
न्यायमूर्ति वाई.वी. चंद्रचूड़ की पीठ गुरुवार को कोरोना से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि कई वैज्ञानिकों की रिपोर्ट है कि इस महामारी का तीसरा चरण आ सकता है। अगर उसकी चपेट में बच्चे आते हैं तो उनके माता-पिता कैसे और क्या करेंगे? अस्पताल में रहेंगे या क्या करेंगे? क्या प्लान है?
जसिट्स चंद्रचूड़ ने कहा, ‘बच्चों का टीकाकरण किया जाना चाहिए। हमें इससे निबटने की जरूरत है। हम यह नहीं कह रहे कि केंद्र की गलती है। हम चाहते हैं कि वैज्ञानिक व नियोजित ढंग से कोरोना की तीसरी लहर से निबटने की तैयारी की जाए।’
जस्टिस शाह ने कहा, ‘अभी हम दिल्ली को देख रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों का क्या, जहां ज्यादातर लोग झेल रहे हैं। आपको एक राष्ट्रीय नीति बनाने की जरूरत है। आप सिर्फ आज की स्थिति को देख रहे हैं, लेकिन हम भविष्य को देख रहे हैं। उसके लिए आपके पास क्या प्लान है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आप महामारी के दूसरे चरण में हैं। इस चरण में भी कई मापदंड हो सकते हैं। लेकिन, अगर हम आज तैयारी करते हैं, तभी हम तीसरे चरण को संभाल सकेंगे।’
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने भी एक ट्वीट में दावा किया है कि देश में जब कोविड की तीसरी लहर आएगी तो इसमें बच्चे भी प्रभावित होंगे।
उधर मोदी सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन ने भी बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सचेत किया था। उनका कहना था कि यह निश्चित तौर पर आएगी, लिहाजा सरकार को इसके लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा था कि जिस तरह से यह वायरस बढ़ रहा है, उसे देखते हुए कोरोना की तीसरी लहर को कोई नहीं रोक सकता। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि तीसरी लहर कब और कैसे आएगी तथा किसे प्रभावित करेगी, इस बारे में अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।