नई दिल्ली, 12 मार्च। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने मंगलवार को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को चुनावी बॉण्ड का विवरण सौंप दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग करने वाली ऋणदाता की याचिका को खारिज करने के एक दिन भारतीय स्टेट बैंक ने समस्त विवरण चुनाव आयोग को सौपा।
निर्वाचन आयोग ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ‘एसबीआई को माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में, उसके 15 फरवरी और 11 मार्च, 2024 के आदेश (2017 के डब्ल्यूपीसी नंबर 880 के मामले में) में शामिल, चुनावी बॉण्ड पर डेटा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा भारत निर्वाचन आयोग कोआज (12 मार्च, 2024) प्रदान किया गया है।’
उल्लेखनीय है कि सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय बढ़ाने की मांग करने वाली एसबीआई की याचिका खारिज कर दी थी। पीठ ने चुनाव आयोग को बैंक द्वारा साझा की गई जानकारी को 15 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था, ‘उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर, 30 जून, 2024 तक चुनावी बॉण्ड की खरीद और मोचन के विवरण के प्रकटीकरण के लिए समय बढ़ाने की मांग करने वाली एसबीआई द्वारा दायर विविध आवेदन खारिज कर दिया गया है।’ कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने एसबीआई की याचिका खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सराहना की थी।
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले से, देश को जल्द ही पता चल जाएगा कि चुनावी बॉण्ड के माध्यम से भाजपा को किसने चंदा दिया। यह मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, घोटालों और लेनदेन को उजागर करने की दिशा में पहला कदम है।’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शीर्ष अदालत के फैसले को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, ‘चुनावी बॉण्ड भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा और भ्रष्ट उद्योगपतियों और सरकार के बीच सांठगांठ को उजागर करके देश के सामने नरेंद्र मोदी का असली चेहरा उजागर करेगा।’
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में एसबीआई को चुनावी बॉण्ड जारी करना बंद करने और छह मार्च तक चुनाव पैनल को विवरण जमा करने का निर्देश दिया था। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि चुनावी बांड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।