नई दिल्ली, 21 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय सिंह ‘बबलू’ गुरुवार को यहां भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के बहुप्रतीक्षित और कई बार लंबित हुए चुनावों में आसान जीत के साथ अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वहीं विरोधी धड़े के प्रेमचंद लोचब ने महासचिव पद पर जीत हासिल की।
भाजपा सांसद और डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र माने जाने वाले संजय सिंह के साथ ही उनके पैनल के प्रत्याशियों ने डब्ल्यूएफआई के अधिकतर पदों पर जीत हासिल की। इसके साथ ही बृजभूषण शरण सिंह के हाथों में अप्रत्यक्ष रूप से महासंघ का नियंत्रण आ गया, जिन्हें कुछ महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के पद से हटना पड़ा था।
संजय सिंह ने अनीता श्योराण को 33 मतों से हराया
अध्यक्ष पद पर हुए चुनाव में संजय सिंह ने 33 मतों से जीत हासिल की। संजय को 40 वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी अनिता श्योराण को सात मत मिल सके। राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता का पैनल हालांकि महासचिव पद अपने नाम करने में सफल रहा, जब प्रेमचंद लोचब ने दर्शन लाल को हराया।
फिलहाल चुनावों के नतीजों से शीर्ष पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक को यह अहसास हो गया होगा कि बृजभूषण के खिलाफ उनका विरोध-प्रदर्शन व्यर्थ चला गया क्योंकि बदलाव के लिए आक्रामक होकर अभियान चलाने के बावजूद उन्हें कुश्ती जगत का समर्थन नहीं मिला।
बृजभूषण के खिलाफ बजरंग, विनेश व साक्षी सहित अन्य पहलवानों का प्रदर्शन बेनतीजा
इन शीर्ष पहलवानों ने बृजभूषण पर कथित रूप से जूनियर पहलवानों सहित महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था और समाज के विभिन्न वर्गों से भारी समर्थन जुटाने में कामयाब रहे। इनका विरोध हालांकि उस दिन विफल हो गया, जब उन्होंने 28 मई को नए संसद भवन की ओर मार्च करने की योजना बनाई और दिल्ली पुलिस ने दंगा करने के लिए सभी प्रदर्शनकारियों को जंतर-मंतर से हटा दिया।
पहलवानों ने आधिकारिक तौर पर सात जून को अपना विरोध बंद कर दिया था, जब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि बृजभूषण के परिवार के किसी भी सदस्य या करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआई चुनाव में उतरने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
चंदौली के रहने वाले हैं आरएसएस से जुड़े संजय
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े WFI के नए अध्यक्ष संजय सिंह, ‘बबलू’ नाम से भी जाने जाते हैं। वह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ और भारतीय कुश्ती महासंघ दोनों में पदाधिकारी रहे हैं। वर्ष 2019 में भारतीय कुश्ती महासंघ की कार्यकारी कमिटी में संयुक्त सचिव चुने गए थे। यानी WFI की पिछली कार्यकारी परिषद का हिस्सा थे।
संजय सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले हैं. संजय सिंह के पिता और दादा दंगल कराया करते थे। इस वजह से संजय सिंह भी कुश्ती में हमेशा काम करते रहे। संजय सिंह 2008 में वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बने थे। जब 2009 में उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ बना तो बृजभूषण शरण सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने और संजय सिंह उपाध्यक्ष बने। ऐसा कहा जाता है कि पूर्वांचल की महिला पहलवानों को आगे लाने में संजय सिंह ‘बबलू’ की अहम भूमिका रही है।
WFI पर वैश्विक संस्था की रोक हटने का रास्ता भी साफ
इसी क्रम में नई कार्यकारी परिषद के चुनाव से डब्ल्यूएफआई पर लगे वैश्विक संचालन संस्था यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के प्रतिबंध को हटाने का भी रास्ता साफ हो जाएगा। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने समय पर चुनाव नहीं कराने के लिए डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे भारतीय पहलवानों को 2023 विश्व चैंपियनशिप में तटस्थ खिलाड़ियों के रूप में प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
हालांकि डब्ल्यूएफआई की चुनाव प्रक्रिया जुलाई में शुरू हो गई थी, लेकिन अदालत में विभिन्न मामलों के कारण इसमें देरी हुई। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को रद कर दिया, जिससे डब्ल्यूएफआई की नई संचालन संस्था के चुनाव की प्रक्रिया का मार्ग प्रशस्त हो गया।