मुंबई, 26 मई। शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने सनसनीखेज दावा करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर से भाजपा के दिग्गज प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को चुनाव हराने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
राज्यसभा सांसद संजय राउत ने यह भी कहा कि फडणवीस ने अनिच्छा से नागपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे नितिन गडकरी के लिए चुनाव प्रचार किया और वह भी तब, जब उन्हें एहसास हुआ कि गड़करी को नहीं हराया जा सकता। राउत के आरोपों में एक दिलचस्प पहलू यह है कि फडणवीस और गडकरी दोनों ही नागपुर से ताल्लुक रखते हैं और उनपर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का वरदहस्त है।
संजय राउत ने अपने आरोपों के संबंध में पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में रविवार को प्रकाशित एक लेख में कहा, ‘मोदी, शाह और फडणवीस ने नागपुर में गडकरी की हार के लिए काम किया। जब फडणवीस को एहसास हुआ कि उन्हें हराया नहीं जा सकता, तो वे अनिच्छा से गडकरी के लिए अभियान में शामिल हो गए। नागपुर में आरएसएस के लोग खुलेआम कह रहे हैं कि फडणवीस ने गडकरी के खिलाफ विपक्ष की मदद की।’
सीएम शिंदे पर एनसीपी के अजित गुट के खिलाफ काम करने का आरोप
राउत ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हर निर्वाचन क्षेत्र में 25-30 करोड़ रुपये बांटे थे और उनकी मशीनरी ने अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के उम्मीदवारों को हराने के लिए काम किया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरवाल के बाद अब राउत ने भी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह की सरकार सत्ता में लौटती है तो यूपी के सीएम को बदल दिया जाएगा।
बावनकुले का पलटवार – भ्रम के शिकार हो गए हैं राउत
फिलहाल महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने राउत के दावों पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह ‘भ्रम’ के शिकार हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘भाजपा एक पार्टी नहीं बल्कि एक परिवार है। जिन लोगों ने हमेशा गुटबाजी की राजनीति की है, वे पारिवारिक बंधनों को कभी नहीं समझेंगे। मोदी, शाह, योगी आदित्यनाथ, गडकरी और फडणवीस भाजपा के परिवार का हिस्सा हैं। हम हमेशा राष्ट्र के सिद्धांत पर काम करते हैं। उनके लिए पहले पार्टी और फिर वो खुद आते हैं।’
‘गुटबाजी की राजनीति करने वाले पारिवारिक बंधनों को कभी नहीं समझेंगे‘
बावनकुले ने कहा, ‘संजय राउत के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार हमेशा पहले आते हैं, उसके बाद आखिर में उद्धव ठाकरे आते हैं। यदि संजय राउत में साहस है, तो उन्हें एक कॉलम लिखना चाहिए कि उन्होंने 2019 में मुख्यमंत्री बनने की कोशिश कैसे की थी, जब अविभाजित शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाया था।’ गौरतलब है कि महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर गत 19 अप्रैल से 20 मई तक पांच चरणों में चुनाव हो चुके हैं और अब चार जून को आने वाले परिणाम का इंतजार है।