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संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत लखनऊ में शुरू, आगे की रणनीति का होगा ऐलान

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लखनऊ, 22 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बावजूद लखनऊ में आज किसानों की महापंचायत हो रही है। यह महापंचायत लखनऊ के ईको गार्डन में सुबह 10 बजे से शुरू हो गई है। इसमें किसान नेता राकेश टिकैत, दर्शनपाल समेत कई किसान नेता शिरकत करेंगे। इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा भविष्य की रणनीति पर विचार करेगा। इसके बाद 26 नवंबर को गाजीपुर बार्डर पर किसानों की बैठक होगी। केंद्र द्वारा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बावजूद किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाला कानून और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ की गिरफ्तारी नहीं करती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत के लिए किसानों से आने की अपील करते हुए ‘चलो लखनऊ-चलो लखनऊ’ नारे के साथ रविवार को ट्वीट किया था. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘‘सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है, वे नकली एवं बनावटी हैं। इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है। कृषि एवं किसानों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा।’ रविवार को टिकैत ने कहा कि रैली का सबसे बड़ा मुद्दा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय टेनी की गिरफ्तारी की मांग है। इसके अलावा कुछ अन्य मुद्दे हैं।

1. MSP पर कानून बनाया जाए, ताकि हर किसान को अपनी फसल पर कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी मिल सके।

2. विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020-21 के ड्राफ्ट को वापस लिया जाए. (बातचीत के दौरान सरकार ने इस बिल के ड्राफ्ट को वापस लेने का वादा किया था)।

3. “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021” में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाएं।

4. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, यूपी और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है। इन केसों को वापस लिया जाए।

5. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।

6. आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहीद हो चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। शहीद किसानों की स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जमीन की व्‍यवस्‍था की जाए।

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