वाराणसी, 8 अगस्त। वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे के दौरान हिन्दू वादियों की ओर से मीडिया के सामने बयानबाजी करने से दुखी मुस्लिम पक्ष एक बार फिर कोर्ट पहुंचा है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने के लिए मंगलवार को जिला जज की अदालत में प्रार्थनापत्र दिया। इस प्रार्थनापत्र पर कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा।
भ्रामक खबरों से जनमानस पर गलत प्रभाव पड़ रहा
श्रृंगार गौरी प्रकरण में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कोर्ट के आदेश पर एएसआई सर्वे हो रहा है। सर्वे की टीम या उसके किसी अधिकारी की ओर से सर्वे के सम्बन्ध में कोई बयान नहीं दिया गया, लेकिन सोशल मीडिया, अखबार व समाचार चैनल में लगातार खबरें प्रकाशित हो रही हैं। उन्होंने इन खबरों को भ्रामक बताया। अंजुमन के मुताबिक इससे जनमानस पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। वैमनस्य फैल रहा है। इसलिए इस तरह के समाचारों को प्रसारित व प्रकाशित करने से रोका जाए।
ज्ञानवापी के मुख्य इमाम बोले – जो तस्वीरें बताई जा रही, वो वहां की नहीं हैं
इससे पहले कई तस्वीरें ज्ञानवापी का बताते हुए वायरल हुई थीं। इसे लेकर ज्ञानवापी के मुख्य इमाम मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने दावा किया है कि सर्वे की जो तस्वीरें बताई जा रही हैं, वो वहां की नहीं हैं। एक निजी चैनल से बातचीत में इमाम अब्दुल नोमानी ने कहा, ‘हम हर जुमा को वहां नमाज पढ़ाने जाते हैं, वहां कभी ऐसे निशान नहीं दिखे, जिन्हें हिन्दू प्रतीक चिह्न बताया जा रहा है। हम कैसे मान लें कि वे सही कह रहे हैं। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। मैं कहता हूं कि यदि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई भी जाएगी तो उसके निशान क्यों छोड़ देंगे। सब बिल्कुल जाया कर देंगे, क्यों निशान बाकी रखेंगे। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।’
वहीं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण पर मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील मुमताज अहमद ने भी कहा, ‘मेरे प्रतिनिधि वहां मौजूद हैं… जहां अभी काररवाई नहीं हुई, वहां अफवाह फैलाई जा रही कि इतनी बड़ी मूर्ति, त्रिशूल मिल गया है.. अगर आम जनता यह देखेगी तो लोगों में उन्माद आएगा… प्रशासन को यह सब चीजें देखनी चाहिए क्योंकि क़ानून व्यवस्था बनाए रखना उसका काम है।’