नई दिल्ली, 22 सितम्बर। भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष पहली बार रूस के काल्मिकिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता में प्रदर्शित होने जा रहे हैं। ये अवशेष नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय से विशेष धार्मिक सम्मान और परंपराओं के साथ भारतीय वायुसेना के विशेष विमान द्वारा ले जाए जाएंगे। इस आयोजन का नेतृत्व भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, इंटरनेशनल बौद्ध कॉन्फेडरेशन (IBC), राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) मिलकर कर रहे हैं। इस आयोजन को स्थानीय बौद्ध समुदाय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद ऐतिहासिक और आध्यात्मिक माना जा रहा है।
एलिस्ता में 24–28 सितम्बर तक अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन
यह ‘फर्स्ट एक्सपोजिशन’ काल्मिकिया की राजधानी एलिस्ता में 24 से 28 सितम्बर तक आयोजित होने वाले तीसरे अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के दौरान होगा। इस बार का विषय “Buddhism in the New Millennium” रखा गया है। पवित्र अवशेषों को एलिस्ता स्थित गेदेन शेडुप चोइकोर्लिंग मठ (Golden Abode of Shakyamuni Buddha) में रखा जाएगा। यह मठ तिब्बती बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र है और वर्ष 1996 में आम जनता के लिए खोला गया था।
यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य करेंगे भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य करेंगे। IBC की ओर से प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व महानिदेशक करेंगे। साथ ही, 43वें साक्या त्रिजिन रिनपोछे (साक्या परंपरा के प्रमुख), 13वें कुंडलिंग तक्सक रिनपोछे (द्रेपुंग गोमांग मठ), 7वें योंगजिन लिंग रिनपोछे और 17 अन्य वरिष्ठ भिक्षु भी शामिल होंगे। इसके अलावा भारत के तीन वरिष्ठतम वंदनीय भिक्षु स्थानीय श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देंगे। इस अवसर पर दो महत्वपूर्ण समझौते (MoUs) जिनमें पहला, रूस के सेंट्रल स्पिरिचुअल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ बौद्धिस्ट रशिया और IBC के बीच तथा दूसरा, IBC और नालंदा विश्वविद्यालय के बीच हस्ताक्षरित होंगे।
पद्मश्री वासुदेव कामथ सम्मेलन में अपनी कृतियां प्रदर्शित करेंगे
सम्मेलन के दौरान तीन विशेष प्रदर्शनी आयोजित की जाएंगी। इनमें “बुद्ध के जीवन की चार महान घटनाएं”, “शाक्य वंश की धरोहर-पिपरहवा से प्राप्त अवशेष” और “द आर्ट ऑफ स्टिलनेस- राष्ट्रीय संग्रह से बौद्ध कला” शामिल हैं। वहीं प्रसिद्ध कलाकार वासुदेव कामथ (पद्मश्री सम्मानित) भी इस सम्मेलन में अपनी कृतियां प्रदर्शित करेंगे। सम्मेलन के दौरान 35 से अधिक देशों के आध्यात्मिक नेता और अतिथि भाग लेंगे। IBC एक विशेष AI चैटबॉट (नोरबु-द कल्याण मित्र) का प्रदर्शन भी करेगा, जो रूसी भाषा में बुद्ध धम्म की जानकारी उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय की पांडुलिपि शाखा और IBC ‘कंजूर’ (मंगोलियाई धार्मिक ग्रंथ, 108 खंड) की प्रतियां नौ बौद्ध संस्थानों और एक विश्वविद्यालय को भेंट करेंगे।काल्मिकिया यूरोप का एकमात्र बौद्ध गणराज्य है, जो कैस्पियन सागर से सटा हुआ है। यहां की काल्मिक जाति 17वीं सदी में पश्चिमी मंगोलिया से आई ओइरात मंगोल जनजाति के वंशज हैं और महायान बौद्ध धर्म का पालन करते हैं।
हालिया वर्षों में कई देशों में प्रदर्शित किए गए हैं बुद्ध के पवित्र अवशेष
हाल के वर्षों में बुद्ध के पवित्र अवशेषों को कई देशों में प्रदर्शनी हेतु भेजा गया है। 2022 में पिपरहवा अवशेष मंगोलिया, 2024 में सांची अवशेष थाईलैंड और 2025 में सारनाथ अवशेष वियतनाम ले जाए गए थे। इस बार काल्मिकिया ले जाए जा रहे अवशेष नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय की बौद्ध गैलरी से हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2025 में पिपरहवा के पवित्र अवशेष के भारत वापसी पर कहा था कि “भगवान बुद्ध के ये पवित्र अवशेष भारत की गौरवशाली संस्कृति और उनके उपदेशों से हमारे गहरे जुड़ाव को दर्शाते हैं।” ये अवशेष 127 वर्षों बाद हांगकांग से भारत लौटे थे, जहां उनकी नीलामी होने वाली थी।
यूपी के पिपरहवा में 1898 में खुदाई के दौरान मिले थे बुद्ध से जुड़े अस्थि व आभूषण
पिपरहवा स्थल (उत्तर प्रदेश, बस्ती जिले के बर्डपुर क्षेत्र) से 1898 में विलियम क्लैक्सटन पेपे ने खुदाई के दौरान बुद्ध से जुड़े अस्थि और आभूषण प्राप्त किए थे। बाद में 1971 से 1977 के बीच के.एम. श्रीवास्तव के नेतृत्व में खुदाई में और अस्थि अवशेष मिले, जिन्हें 4वीं–5वीं शताब्दी ईसा पूर्व का माना गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने पिपरहवा को कपिलवस्तु की प्राचीन नगरी के रूप में पहचाना। इस प्रकार काल्मिकिया में होने वाला यह आयोजन भारत और रूस के बीच न केवल धार्मिक व सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा, बल्कि विश्व स्तर पर बौद्ध धर्म के संदेश को भी व्यापक बनाएगा।

