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सचिन पायलट का गुलाम नबी पर प्रहार – 2014 की हार में सिर्फ राहुल गांधी नहीं बल्कि पार्टी की सामूहिक जिम्मेदारी थी

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जयपुर, 27 अगस्त। अशोक गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे दिग्गज कांग्रेसी  सचिन पायलट ने पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका पार्टी से जाना और इस्तीफे में राहुल गांधी पर आरोप लगाया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पायलट ने शनिवार को कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के लिए किसी एक को कटघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता। यह केवल राहुल गांधी की नहीं बल्कि पार्टी की सामूहिक जिम्मेदारी थी।

इस्तीफे में राहुल गांधी का उल्लेख व्यक्तिगत अपमान

सचिन पायलट ने इसके साथ ही आजाद की चिट्ठी में राहुल गांधी का उल्लेख किए जाने को ‘व्यक्तिगत अपमान’ बताया और कहा कि उनका नेतृत्व हार के लिए जिम्मेदार कैसे हो सकता है, जब पूरी पार्टी मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रही थी। गुलाम नबी आजाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे, लेकिन उन्होंने जिस समय पत्र लिखकर पार्टी से किनारा किया है, उसे केवल दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है। अब जब कि पार्टी केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा सरकार के ‘कुशासन’ को जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रही थी, उस समय आजाद ने अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति पाकर ठीक मिसाल नहीं पेश की है।

जब देश और पार्टी के लोगों को उनकी जरूरत थी तो उन्होंने आंखें फेर ली

पायलट ने कहा, ‘गुलाम नबी आजाद खुद अपने इस्तीफे में बता रहे हैं कि वह 50 से अधिक वर्षों तक पार्टी में विभिन्न पदों पर रहे और अब जब देश को और पार्टी के लोगों को उनकी जरूरत थी तो उन्होंने आंखें फेर ली। कांग्रेस में हम सभी, जिसमें खुद आजाद भी शामिल थे। यूपीए सरकार में मंत्री रहे। इसलिए 2014 में मिली हार केवल पार्टी की नहीं बल्कि उस सरकार की भी थी। इस कारण अकेले राहुल गांधी पर आरोप नहीं लगाया जा सकता है।’

गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने अपने त्यागपत्र में यूपीए शासनकाल के दौरान राहुल गांधी द्वारा सरकारी अध्यादेश को फाड़े जाने की कड़ी आलोचना करते हुए उसे राहुल गांधी का सबसे अपरिपक्व कदम बताया है। गुलाम नबी का कहना है कि यूपीए की 2014 के मिली चुनावी हार में राहुल गांधी द्वारा अध्यादेश की कॉपी फाड़े जाने का बहुत बड़ा रोल था और इसे पार्टी द्वारा नकारा नहीं जा सकता। इस मुद्दे पर सचिन पायलट ने कहा कि इस्तीफे में राहुल गांधी द्वारा अध्यादेश को फाड़े जाने का वर्णन करना बताता है कि आजाद निजी तौर पर राहुल गांधी को बदनाम करने की नीयत रखते हैं।

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