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रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने की ‘मदर हीरोइन’ पुरस्कार की घोषणा – 10 बच्चे पैदा करें और पाएं 10 लाख रूबल का ईनाम

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मॉस्को, 18 अगस्त। क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा, लेकिन सिर्फ 14.41 करोड़ आबादी वाला देश रूस इन दिनों जन्म दर में गिरावट के कारण जनसांख्यिकीय संकट से जूझ रहा है और उसकी आबादी तेजी से घट रही है। इसी वजह से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने सोवियत युग के ‘मदर हीरोइन’ पुरस्कार को फिर शुरू करने की घोषणा की है।

राष्ट्रपति पुतिन ने इस पुरस्कार के बाबत सरकारी आदेश पर इसी हफ्ते हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। इसके तहत जो महिलाएं 10 या अधिक बच्चे पैदा करती हैं और उनकी परवरिश करती हैं, उन्हें नकद पुरस्कार राशि के साथ रूस की ‘मदर हीरोइन’ की उपाधि सम्मान के रूप में दी जाएगी। पुतिन का मानना है कि इस पुरस्कार के जरिए रूस में जनसांख्यिकी को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश को लेकर सरकारी सहायता भी प्राप्त कर सकेंगे।

10वें बच्चे के पैदा होने पर मिलेंगे 10 लाख रूबल

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि 10वें जीवित बच्चे के एक साल का होने के बाद संबंधित माता को 10 लाख रूबल (लगभग 13 लाख रुपये) का एकमुश्त भुगतान भी मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार पहले के नौ बच्चों में से किसी के आतंकवादी हमले में मारे जाने या आपातकालीन स्थिति में मौत होने पर भी संबंधित माता यह पुरस्कार पाने की हकदार होगी।

जोसेफ स्टालिन ने 1944 में शुरू किया था पुरस्कार

सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने सबसे पहले 1944 में ‘मदर हीरोइन’ पुरस्कार शुरू किया था। उस समय द्वितीय विश्व युद्ध के कारण सोवियत संघ की आबादी तेजी से गिरने लगी थी। ऐसे में जनसंख्या में बढ़ोतरी के लिए तत्कालीन सरकार ने इस पुरस्कार को शुरू किया था।

सोवियत संघ के पतन के बाद रूसी सरकार ने बंद कर दिया था यह पुरस्कार

हालांकि 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद तत्कालीन रूसी सरकार ने इस पुरस्कार को बंद कर दिया था। उस समय कारण बताया गया था कि देश की आबादी पर्याप्त है और विघटन के कारण आर्थिक स्थिति भी सही नहीं है। ऐसे में लोगों को पुरस्कार स्वरूप नकद राशि नहीं दी जा सकती।

दशकों से लगातार गिरती जा रही रूस की आबादी

फिलहाल रूस की जनसंख्या दशकों से लगातार गिरती जा रही है। 2022 की शुरुआत में रूस की जनसंख्या में लगभग 400,000 की गिरावट देखी गई थी। वस्तुतः रूसी जनसंख्या में गिरावट का सिलसिला 1990 से शुरू हुआ था, जो सोवियत संघ के विघटन से प्रेरित था। साल 2000 में पुतिन के राष्ट्रपति बनने के बाद भी जनसंख्या में गिरावट जारी रही।

सरकार की ओऱ से पहले कहा गया था कि दो दशक बाद जनसंख्या में सुधार होगा, लेकिन इसका कोई असर जमीन पर देखने को नहीं मिला। स्थिति सुधारने के पिछले प्रयास असफल रहे हैं, जिससे अर्थशास्त्रियों के बीच चिंता पैदा हो रही है कि छोटी जनसंख्या के होने का अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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