मॉस्को, 23 फरवरी। रूस व यूक्रेन के बीच आशंकित युद्ध के पहले मॉस्को ने यूक्रेन स्थित अपने सभी राजनयिक प्रतिष्ठानों से कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया है। इनमें कीव स्थित दूतावास के अलावा खार्किव, ओडेसा तथा ल्वीव में वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी शामिल हैं। रूस की सरकार संचालित समाचार एजेंसी तास ने बुधवार को यह जानकारी दी।
तास की खबर में कहा गया है कि कीव में दूतावास ने पुष्टि की है कि निकासी शुरू हो गई है। वहीं, कीव में एसोसिएटेड प्रेस के एक फोटो पत्रकार ने देखा कि अब कीव में दूतावास भवन में झंडा नहीं लहरा रहा।
ब्रिटेन की चेतावनी – रूस पर लगाएं जाएंगे कुछ और कड़े प्रतिबंध
वहीं ब्रिटेन ने बुधवार को चेतावनी दी कि यूक्रेन पर आक्रमण की स्थिति में वह रूस पर कुछ और प्रतिबंध लगाएगा। ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रूस ने कहा कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा मंगलवार को संसद में पांच रूसी बैंकों और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जुड़े तीन अरबपतियों के खिलाफ घोषित प्रतिबंध गंभीर किस्म के हैं, लेकिन कुछ और उपाय अभी सुरक्षित रखे गए हैं।
गौरतलब है कि रूस समर्थित अलगाववादियों के कब्जे वाले यूक्रेन के दो क्षेत्रों में रूसी सैनिकों को भेजने के पुतिन के फैसले के बाद ब्रिटेन भी उन देशों में शामिल हो गया है, जिसने प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। ट्रूस ने कहा, “हम अमेरिका, यूरोप के साथ समन्वय से प्रतिबंध लगा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो कि पुतिन हमारे सहयोगियों के बीच ‘फूट डालो और राज करो’ का हथकंडा न अपना सकें। हमने दिखाया है कि हम एकजुट हैं और आक्रमण की स्थिति में प्रतिबंध और बढ़ाएंगे।”
जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन की मंजूरी रोकने की घोषणा की
उधर जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने बाल्टिक सागर के जरिए नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन की मंजूरी को रोकने के निर्णय की घोषणा की। दस अरब यूरो की इस बृहद परियोजना के तहत रूस को यूरोप को अधिक प्राकृतिक गैस बेचने की अनुमति मिलने की उम्मीद थी।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ (ईयू) में शामिल देशों ने भी रूसी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने के लिए कई तरह के प्रतिबंधों की घोषणा की है। इसी क्रम में ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने यूक्रेन का समर्थन करने और रूसी आक्रमण से उत्पन्न आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए यूक्रेन को 50 करोड़ अमेरीकी डॉलर तक के ऋण की गारंटी पर ब्रिटेन की प्रतिबद्धता को दोहराया।