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रूस ने पहली बार माना – यूक्रेन पर हमले से हुआ बहुत नुकसान, बड़ी संख्या में सैनिकों को जान गंवानी पड़ी

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मॉस्को, 8 अप्रैल। यूक्रेन पर हमले के दौरान रूस ने पहली बार स्वीकार किया है कि उसे इस युद्ध से भारी सैन्य नुकसान हुआ है। रूसी सेना के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने गुरुवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में स्वीकार किया कि रूस को बड़ी संख्या में सैनिकों की जान गंवानी पड़ी है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के 43 दिन गुजर चुके हैं

गौरतलब है कि रूस ने गत 24 फरवरी से यूक्रेन पर हमला किया था और इस युद्ध के अब 43 दिन बीत चुके हैं। ऐसे में रूस ने पहली बार इस युद्ध में हुए अपने भारी सैन्य नुकसान को स्वीकारा है। लेकिन दिमित्री पेसकोव ने इस दौरान हताहत हुए अपने सैनिकों की संख्या नहीं बताई है। इससे पहले रूस ने मार्च में अपने 1,351 सैनिकों के मारे जाने और कुल 3,825 सैनिकों के घायल होने की पुष्टि की थी।

बूचा में नरसंहार की घटना से इनकार, बताया एक पूर्व नियोजित साजिश

फिलहाल दिमित्री ने ब्रिटेन के स्काई न्यूज को दिए इंटरव्यू में यूक्रेन के बूचा में नरसंहार की घटना से इनकार किया है। दिमित्री ने कहा, ‘हम इस बात से इनकार करते हैं कि रूसी सेना ने बूचा में ऐसा कोई काम किया है। मारे गए यूक्रेनी नागरिकों की तस्वीर रूस को बदनाम करने की एक पूर्व नियोजित साजिश हैं। हम इन तस्वीरों की वैधता से इनकार करते हैं।’

अमेरिकी प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने रूस को यूएनएचआरसी से किया निलंबित

इस संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व की शीर्ष मानवाधिकार संस्था से रूस को गुरुवार को निलंबित कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से रूस को निलंबित करने के लिए अमेरिका ने प्रस्ताव पेश किया था। 193 सदस्यीय महासभा (यूएनजीए) में प्रस्ताव के पक्ष में 93 मत पड़े जबकि भारत सहित 58 देश अनुपस्थित रहे। ‘मानवाधिकार परिषद में रूसी संघ की सदस्यता के निलंबन अधिकार’ शीर्षक वाले प्रस्ताव के खिलाफ 24 मत पड़े थे। ऐसे में प्रस्ताव पारित हो गया।

रूसी सैनिकों द्वारा आम नागरिकों की हत्या के वायरल हुए थे वीडियो

उल्लेखनीय है कि रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेन के बूचा शहर में की गई नागरिकों की हत्याओं की तस्वीरें एवं वीडियो सामने आने के बाद अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने का अभियान शुरू किया था। अब रूस को यूएनएचआरसी से बाहर कर दिया गया है। रूस दूसरा देश है, जिसकी यूएनएचआरसी सदस्यता छीन ली गई है। महासभा ने 2011 में लीबिया को परिषद से निलंबित कर दिया था।

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