लखनऊ, 2 सितम्बर। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में ट्रस्टों व सोसाइटी में सम्पत्ति व स्वामित्व को लेकर चल रहे गड़बड़झाले पर लगाम कसने की तैयारी कर ली है। इससे फर्जी व निष्क्रिय संस्थाओं के नाम पर फर्जीवाड़ा नहीं हो पाएगा। इस क्रम में योगी सरकार सोसाइटी, ट्रस्ट्रों के सुचारु संचालन, विवादों को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नया सोसाइटी पंजीकरण लागू करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए हैं।
सीएम योगी ने वित्त विभाग के अधिकारियों संग बैठक में कहा कि सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम-1860 के स्थान पर उत्तर प्रदेश में नया कानून लागू किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संस्थाओं के पंजीकरण, नवीनीकरण तथा उनकी संपत्तियों के पारदर्शी प्रबंधन को सुदृढ़ करने के लिए युगानुकूल और व्यावहारिक प्रावधान किए जाने चाहिए।
वर्तमान एक्ट में हैं कई कमियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान अधिनियम में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने, निष्क्रिय अथवा संदिग्ध संस्थाओं के निरस्तीकरण / विघटन और संपत्ति के सुरक्षित प्रबंधन तथा सदस्यता, प्रबंधन और चुनाव संबंधी विवादों के समयबद्ध निस्तारण के स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है। इसी प्रकार, वित्तीय अनुशासन के लिए ऑडिट, निधियों के दुरुपयोग पर नियंत्रण और संपत्ति प्रबंधन से संबंधित नियम भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि व्यावहारिकता का ध्यान रखते हुए युगानुकूल सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम लागू किया जाए।
संस्थाओं की संपत्तियों की मनमानी बिक्री न होने पाए
सीएम योगी ने कहा कि इसमें ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए, जो पारदर्शिता, जवाबदेही और सदस्य हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट हो या सोसाइटी, कुछ लोगों की कुत्सित मानसिकता के चलते संस्थाओं की संपत्तियों की मनमानी बिक्री न हो, यह रोकने के लिए ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए। विवाद की स्थिति में प्रशासक नियुक्त किए जाने को अनुपयुक्त बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी संस्था कैसे संचालित होगी, यह प्रबंध समिति ही तय करे। सरकार अथवा स्थानीय प्रशासन की ओर से संस्थाओं के आंतरिक कामकाज में न्यूनतम हस्तक्षेप ही होना चाहिए।
प्रदेश में वर्तमान में लगभग आठ लाख से अधिक संस्थाएं पंजीकृत
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में लगभग आठ लाख से अधिक संस्थाएं पंजीकृत हैं, जिनकी गतिविधियां शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समरसता, ग्रामीण विकास, उद्योग, खेल आदि अनेक क्षेत्रों से जुड़ी हुई हैं। इसलिए उनके संचालन, सदस्यता, चुनाव और वित्तीय अनुशासन से जुड़ी व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि निष्क्रिय अथवा संदिग्ध संस्थाओं के विघटन, निरस्तीकरण और संपत्ति के सुरक्षित प्रबंधन के लिए अधिनियम में ठोस प्रावधान होना चाहिए। साथ ही सदस्यता विवाद, प्रबंधन समिति में मतभेद, वित्तीय अनियमितताओं तथा चुनाव संबंधी विवादों के त्वरित और समयबद्ध निस्तारण की व्यवस्था की जानी उचित होगी।
वित्तीय लेन-देन की जवाबदेही तय होगी
पंजीकरण और नवीनीकरण की प्रक्रिया ऑनलाइन, केवाईसी आधारित और समयबद्ध होनी चाहिए। वित्तीय लेन-देन की जवाबदेही तथा लेखा-परीक्षा की प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। नए कानून को यथाशीघ्र तैयार करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी आवश्यक प्रावधान इस प्रकार तैयार किए जाएं, जिससे प्रदेश की पंजीकृत संस्थाएं समाजोपयोगी कार्यों को और प्रभावी ढंग से संपादित कर सकें तथा पारदर्शिता और सुशासन की भावना को आगे बढ़ा सकें। बैठक में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना मौजूद रहे।
नए कानून से होगा लोगों को ये फायदा
- नए कानून से सोसाइटी व ट्रस्टों में गड़बड़झाला रुकेगा। सम्पत्ति के नाम पर विवादों की रोकथाम हो सकेगी।
- फर्जी व निष्क्रिय संस्थाओं पर रोक लगेगी।
- ट्रस्ट की सम्पत्ति के दुरुपयोग व मनमाने तरीके से बेचने पर पर भी लगाम लग सकेगी।
- नए कानून बनाने से पहले अंग्रेजों के जमाने का 1860 का पंजीकरण एक्ट खत्म होगा।
- प्रदेश में वर्तमान में लगभग आठ लाख से अधिक संस्थाएं पंजीकृत हैं।
- इन सोसाइटी की गतिविधियां शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समरसता, ग्रामीण विकास, उद्योग, खेल आदि अनेक क्षेत्रों से जुड़ी हुई हैं।

