नई दिल्ली, 20 जुलाई। संसद के मॉनसून सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा में गुरुवार को कोई कामकाज नहीं हो सका और दोनों सदनों की कार्यवाही शुक्रवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दोनों सदनों की कार्यवाही आज पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होने के बाद नए सांसदों को शपथ दिलाई गई। इसके बाद दिवंगत सांसदों को श्रद्धांजलि देकर लोकसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे और राज्यसभा की कार्यवाही मध्याह्न 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
पहले स्थगन के बाद राज्यसभा की कार्यवाही फिर शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों द्वारा मणिपुर हिंसा, बालेश्वर रेल दुर्घटना, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों पर लाए गए नोटिस का जिक्र किया। सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए तैयार है। इस पर सभापति ने कहा कि मणिपुर हिंसा पर अल्पकालिक चर्चा के लिए नियम 176 के तहत दिए गए नोटिस सही हैं और सदन इस पर विचार कर सकता है।
लेकिन तभी विपक्ष ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी। जब दोपहर दो बजे दोनों सदनों की कार्यवाही एक बार फिर शुरू हुई तो विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस हंगामे के बीच दोनों सदनों की कार्यवाही शुक्रवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्ष सदन की कार्यवाही चलने नहीं देना चाहता – पीयूष गोयल
इस बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘आज सदन की कार्यवाही और व्यापार सलाहकार समिति की बैठक में विपक्ष का रवैया देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि वे मन बनाकर आए थे कि सदन की कार्यवाही नहीं चलने देंगे। शायद उनको परेशानी है कि पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार से हिंसा की घटनाएं हुई हैं और छत्तीसगढ़ व राजस्थान में नारी शक्ति की बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां हैं, ऐसे में सरकार ने जब स्पष्ट कर दिया कि हम मणिपुर की घटनाओं पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, उसके बावजूद कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों ने सदन की कार्यवाही को रोका। यह स्पष्ट करता है कि विपक्ष सदन की कार्यवाही चलने नहीं देना चाहता है।’