नई दिल्ली, 22 जुलाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने संघ की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध हटाने के केंद्र सरकार के फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि यह कदम भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करेगा। आरएसएस प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने एक बयान में कहा, ‘सरकार का वर्तमान निर्णय उचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करता है।
सुनील आंबेकर ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता और अखंडता तथा प्राकृतिक आपदा के समय समाज को साथ लेकर चलने में संघ के योगदान के कारण देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने भी समय-समय पर संघ की भूमिका की प्रशंसा की है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की… pic.twitter.com/MxRelxOyU4
— RSS (@RSSorg) July 22, 2024
हालांकि आरएसएस ने पिछली सरकारों पर राजनीतिक हितों के लिए प्रतिबंध लगाने का भी आरोप लगाया। आंबेकर ने कहा कि तत्कालीन सरकारों ने अपने राजनीतिक स्वार्थों के कारण शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था। शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।
मायावती का आरोप – केंद्र का फैसला आरएसएस को खुश करने के लिए
वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए इसे आरएसएस को खुश करने के लिए राजनीति से प्रेरित कदम बताया। उन्होंने इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह सरकारी कर्मचारियों से अपेक्षित निष्पक्षता को कमजोर करता है।
1. सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे, राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय, ताकि सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो।
— Mayawati (@Mayawati) July 22, 2024
मायावती ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस की शाखाओं में भाग लेने पर 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटाने का केंद्र का फैसला राष्ट्रीय हित की सेवा करने के बजाय आरएसएस को खुश करने के लिए एक राजनीति से प्रेरित कदम है। यह सरकार की नीतियों और उनके अहंकारी रवैये को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच बढ़े तनाव को कम करने के लिए है।’