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आरएसएस ने बीबीसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई नाराजगी, कहा – शीर्ष अदालत का औजार की तरह इस्तेमाल कर रहीं देश विरोधी ताकतें

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नई दिल्ली, 16 फरवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी के विवादित वृत्तचित्र से जुड़े सोशल मीडिया लिंक को प्रतिबंधित करने के आदेश को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस भेजने के लिए उच्चतम न्यायालय की आलोचना की।

पत्रिका के ताजा संस्करण के एक संपादकीय में कहा गया है कि भारत विरोधी तत्व कथित रूप से शीर्ष अदालत का ‘औजार’ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। मानवाधिकारों के नाम पर आतंकवादियों को बचाने के प्रयासों और पर्यावरण के नाम पर भारत के विकास में बाधाएं पैदा करने के बाद अब यह प्रयास किया जा रहा है कि देश विरोधी ताकतों को भारत में दुष्प्रचार करने का अधिकार हो।

बीबीसी के वृत्तचित्र को लेकर शीर्ष अदालत के नोटिस का जिक्र करते हुए संपादकीय में कहा गया, ‘हमारे देश के हितों की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई थी, लेकिन भारत विरोधी अपना रास्ता साफ करने के प्रयासों के लिए इसका एक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।’

बीबीसी का वृत्तचित्र असत्य और कल्पनाओं पर आधारित है

पत्रिका ने कि उच्चतम न्यायालय करदाताओं के धन से चलता है और देश के लिए भारतीय कानून के अनुसार काम करता है। संपादकीय में बीबीसी के वृत्तचित्र को भारत को बदनाम करने के लिए एक दुष्प्रचार करार देते हुए कहा गया कि यह असत्य और कल्पनाओं पर आधारित है। इसमें यह भी कहा गया, ‘सभी देश-विरोधी ताकतें हमारे लोकतंत्र, हमारी उदारता और हमारी सभ्यता के मानकों के प्रावधानों का हमारे खिलाफ फायदा उठाती हैं।’

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते विवादित वृत्तचित्र के मद्देनजर भारत में बीबीसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया था। सोशल मीडिया मंचों पर वृत्तचित्र की पहुंच को रोकने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक और जत्थे पर अप्रैल में सुनवाई होगी।

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