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आरएसएस ने पश्चिम बंगाल में बढ़ती हिंसा पर जताई चिंता, कहा – लोगों को इस पर विचार करना चाहिए

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नई दिल्ली, 22 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने पश्चिम बंगाल में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा है कि बंगाल में हिंसा क्यों होती है, लोगों को इस पर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही संघ ने देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी कड़े कदम उठाने पर जोर दिया। संघ के अनुसार भारत में जनसंख्या नियंत्रण नहीं, बल्कि एक समग्र जनसंख्या नीति की जरूरत है, जो सभी भारतीयों पर लागू हो।

अक्टूबर तक देशभर में एक लाख शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य

सूत्रों के अनुसार आरएसएस ने अक्टूबर तक देशभर में एक लाख शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में 2018 शाखाएं सक्रिय हैं। संघ ने पश्चिम बंगाल में हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं संरक्षण के कारण होती हैं। उन्होंने लोगों से इस पर विचार करने की अपील की।

सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि आरएसएस का कोई संविधान नहीं है, जिसमें 75 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का नियम हो। इसलिए, यह नियम किसी पर थोपा नहीं जा सकता। प्रत्येक संगठन को अपनी स्वायत्तता के साथ काम करना चाहिए। राज्य सरकार हमें भागवत की सभा की अनुमति नहीं देती। हमें यह अदालत से मिली है। उन्होंने बंगाल में भाजपा की सीटों की संख्या (72-75) को उल्लेखनीय वृद्धि बताया, लेकिन सत्ता में आने की संभावना को अलग मुद्दा करार दिया।

आरएसएस का यह भी मानना है कि सभी को स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार है, लेकिन देश के प्रति निष्ठा पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि न तो भारत में गैर-हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाना चाहिए और न ही बांग्लादेश में हिंदुओं को।

वहीं, भाषा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संपर्क भाषा एक हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय भाषाएं अनेक हो सकती हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में ‘राजधर्म’ की कमी पर असंतोष जताया और कहा कि वे ममता बनर्जी की सरकार से खुश नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे की दुश्मन नहीं हैं। हम कांग्रेस के साथ भी नीतिगत मुद्दों पर चर्चा करते थे। हम प्रणब दा से बांग्लादेश और नेपाल पर बात करते थे।

चीन के साथ संबंधों पर आरएसएस का मानना है कि वह कभी भी किसी देश से स्थायी दुश्मनी की बात नहीं करता। सभी के साथ संबंध रखने चाहिए, लेकिन राष्ट्र की सर्वोच्चता सर्वोपरि है।

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