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आरएसएस ने राष्ट्रीय एकता को चुनौती दे रहीं ताकतों को लेकर जताई चिंता

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बेंगलुरु, 21 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने उत्तर और दक्षिण भारत को लेकर बीते कुछ दिनों से छिड़ी बहस पर चिंता जाहिर की है कि राष्ट्रीय एकता को चुनौती देने वाली ताकतें इस तरह के मुद्दे उठा रही हैं। संघ ने साथ ही मणिपुर को लेकर भी चिंता व्यक्त की है।

उत्तर-दक्षिण विभाजन और भाषा मुद्दे को उठाना कदापि उचित नहीं

आरएसएस के सर कार्यवाह मुकुंद सीआर ने शुक्रवार से यहां प्रारंभ अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (APPS) के तीन दिवसीय सत्र के पहले दिन मीडिया को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘हमारी चिंता उन ताकतों को लेकर है, जो राष्ट्रीय एकता को चुनौती दे रही हैं, खासकर उत्तर-दक्षिण विभाजन और भाषा मुद्दे को उठा रही हैं। हमें लगता है कि इनमें से ज़्यादातर राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।’

पिछले 20 माह से मणिपुर के बुरे हालात को लेक भी संगठन चिंतित

मुकुंद सीआर ने कहा, ‘ जब बात परिसीमन की आती है तो हमारे गृह मंत्री (अमित शाह) कहते हैं कि जब भी परिसीमन का फैसला लिया जाएगा तो ये अनुपात के आधार पर होगा।’ उन्होंने साथ ही मणिपुर को लेकर भी चिंता जाहिर करते हुए कहा, ‘हमारे संगठन को इस बात की चिंता है कि पिछले 20 महीनों से मणिपुर बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार के राजनीतिक और प्रशासनिक कदमों से उम्मीद है। लेकिन एक संगठन के तौर पर हमें लगता है कि प्राकृतिक माहौल बनने में काफी समय लगेगा।‘

2012 से अब तक 12 लाख से ज्यादा कार्यकर्ता RSS की गतिविधियों में शामिल हुए

देश में आरएसएस शाखाओं की संख्या को लेकर मुकुंद ने बताया, ‘यह पिछले वर्ष 10 हजार बढ़कर 83,129 हो गई है। वर्ष 2012 से अब तक 12 लाख 23 हजार 423 से ज्यादा कार्यकर्ता आरएसएस की गतिविधियों में शामिल हो चुके हैं। देश में कुल मिलाकर एक करोड़ कार्यकर्ता सक्रिय हैं।’

महाकुम्भ ने भारत की आध्यात्मिकता व सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत नजारा पेश किया

आरएसएस ने प्रयागराज महाकुम्भ 2025 की सराहना करते हुए कहा कि महाकुम्भ ने भारत की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत नजारा पेश किया है।

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