नई दिल्ली, 21 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अयोध्या स्थित राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भारतवर्ष के ‘पुनर्निर्माण’ की शुरुआत का प्रतीक बताया है। आरएसएस की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक लेख में भागवत ने लिखा कि विवाद पर ‘संघर्ष और कड़वाहट’ समाप्त होनी चाहिए।
विवाद पर अब ‘संघर्ष और कड़वाहट‘ समाप्त होनी चाहिए
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि भगवान राम को संपूर्ण समाज आचरण के आदर्श के रूप में स्वीकार करता है। उन्होंने लिखा, ‘इसलिए अब इस विवाद के पक्ष और विपक्ष में जो विवाद पैदा हुआ है, उसे खत्म किया जाना चाहिए। इस बीच जो कड़वाहट पैदा हुई है, वह भी खत्म होनी चाहिए। समाज के प्रबुद्ध लोगों को यह देखना होगा कि विवाद पूरी तरह से खत्म हो जाए।’
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमित्त सरसंघचालक जी का लेखhttps://t.co/whWy7N8aKm
अयोध्या में श्री राम मन्दिर के निर्माण का अवसर अर्थात राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह आधुनिक भारतीय समाज द्वारा भारत के आचरण के मर्यादा की जीवन दृष्टि की स्वीकृति है।— RSS (@RSSorg) January 21, 2024
भागवत ने कहा, “अयोध्या में मंदिर का निर्माण ‘राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण’ का प्रतीक है। राम जन्मभूमि में श्री रामलला का प्रवेश और उनकी प्राण प्रतिष्ठा भारतवर्ष के पुनर्निर्माण के अभियान की शुरुआत है, जो सभी के कल्याण के लिए है, बिना किसी शत्रुता के सभी को स्वीकार करने और सद्भाव, एकता, प्रगति और शांति का मार्ग दिखाने के लिए है।”
उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास आक्रमणों से भरा पड़ा है। इस्लाम के नाम पर पश्चिम के हमलों ने समाज का पूर्ण विनाश किया। देश, समाज को हतोत्साहित करने के लिए उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट करना जरूरी था। इसलिए, विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में मंदिरों को भी नष्ट कर दिया। उन्होंने कई बार ऐसा किया।
भारतीय समाज को हतोत्साहित करने के लिए अयोध्या में राम मंदिर को तोड़ा गया
मोहन भागवत ने कहा, “भारतीय समाज को हतोत्साहित करने के लिए अयोध्या में राम मंदिर को तोड़ा गया। हालांकि, समाज ने अपना प्रतिरोध जारी रखा। समाज झुका नहीं, उसका प्रतिरोध का संघर्ष जारी रहा। इसलिए, (भगवान राम के) जन्मस्थान पर कब्जा करने और वहां (अयोध्या में) मंदिर बनाने के लिए बार-बार प्रयास किए गए। इसके लिए कई युद्ध, संघर्ष और बलिदान हुए उन्होंने कहा, और राम जन्मभूमि का मुद्दा हिन्दुओं के मन में बस गया है।”