भुवनेश्वर/कटक, 15 अगस्त। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि सभी पशुओं को जीने का अधिकार है और आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान उनकी आबादी को नियंत्रित करके ही संभव है।
RSS प्रमुख भागवत ने गुरुवार को ओडिशा के कटक स्थित जवाहरलाल नेहरू इनडोर स्टेडियम में एक धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान उनकी आबादी को नियंत्रित करके ही किया जा सकता है, न कि उन्हें आश्रय स्थलों तक सीमित करके। उन्होंने कहा कि सभी पशुओं को जीने का अधिकार है।
आवारा कुत्तों को शेल्टर्स में रखना समस्या का समाधान नहीं
वेटरनरी साइंस ग्रैजुएट मोहन भागवत सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर उठे विवाद पर टिप्पणी कर रहे थे, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर स्थायी रूप से डॉग शेल्टर्स में डालने को कहा गया है। संघ प्रमुख ने कहा, ‘इस समस्या का समाधान केवल आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करके ही किया जा सकता है। हालांकि, आवारा कुत्तों को शेल्टर्स में रखकर इसका समाधान नहीं किया जा सकता।’
भागवत ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि गाय का दूध निकालते समय भारतीय कुछ दूध ले लेते हैं और बाकी बछड़े के लिए छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन बनाने की कला है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाकर प्रकृति का संरक्षण किया जाना चाहिए।’
प्रकृति से जुड़े विभिन्न मुद्दों का समाधान पारंपरिक तरीकों से संभव
देशभर से 500 से अधिक संतों की उपस्थिति में आयोजित धर्मसभा के दो सत्रों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि प्रकृति से जुड़े विभिन्न मुद्दों का समाधान पारंपरिक तरीकों से किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘भारतीय धरती उपजाऊ है क्योंकि हमारे किसान धरती से अधिक दोहन नहीं करते। वे उपभोग के लिए आवश्यक अनाज पैदा करने के लिए धरती माता का उपयोग करते हैं जबकि यूरोपीय लोग अफ्रीका में अधिकतम अनाज उत्पादन के लिए अत्यधिक उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी को नष्ट कर देते थे।’

