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कोच तारक सिन्हा के निधन से ऋषभ पंत मर्माहत, दी भावभीवी श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली, 6 नवंबर। भारत के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत दिल्ली के ख्यातिनाम कोच तारक सिन्हा के निधन से मर्माहत हैं और शनिवार को उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें अपना मेंटर, कोच, मोटिवेटर, सबसा बड़ा आलोचक और सबसा बड़ा प्रशंसक करार दिया है।

ज्ञातव्य है कि ऋषभ व शिखर धवन सहित कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को गुरु रहे द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच तारक सिन्हा का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 71 वर्षीय तारक पिछले दो महीने से फेफड़ों का कैंसर से पीड़ित थे।

देश प्रेम आजाद, गुरचरन सिंह, रमाकांत आचरेकर और सुनीता शर्मा के बाद द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले पांचवें भारतीय क्रिकेट कोच थे। वर्ष 2018 में उन्हें द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। देश के जाने माने क्रिकेट क्लब सोनेट क्लब की स्थापना सिन्हा ने ही की थी।

‘आप हमेशा मेरे साथ रहेंगे, जब भी मैं फील्ड पर रहूंगा’

संप्रति संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में टी 20 विश्व कप में व्यस्त ऋषभ पंत ने ट्वीट कर अपने कोच को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘मेरे मेंटर, कोच, मोटिवेटर, सबसे बड़े आलोचक और सबसे बड़े फैन। आपने मुझे बेटे की तरह संभाला, मैं टूट चुका हूं, आप हमेशा मेरे साथ रहेंगे, जब भी मैं फील्ड पर रहूंगा।’

‘तारक सर पितातुल्य नहीं, वह मेरे पिता ही हैं’

ऋषभ पंत ने एक बार कहा था, ‘तारक सर पितातुल्य नहीं हैं। वह मेरे पिता ही हैं।’ पंत जब अपनी मां के साथ तारक के पास कोचिंग के लिए आए थे, उस समय वह राजस्थान में कोचिंग कर रहे थे। सिन्हा ने पंत को अपने साथ तब जोड़ा था, जब वह 12 साल के ही थे, यही नहीं तारक सिन्हा ने दिल्ली के एक स्कूल में पंत की शिक्षा की व्यवस्था की, जहां से उन्होंने अपनी 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षा दी।

पंत  ने वर्ष 2016 में ईएसपीएनक्रिकइंफो को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं अपने सर के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलना चाहता हूं क्योंकि हमारे क्लब में सिर्फ टेस्ट खेलने वाले को सर देश के लिए खेलने वाला खिलाड़ी समझते हैं।’ उस समय पंत ने भारत के लिए डेब्यू नहीं किया था।

पूर्व भारतीय ओपनर वीरेंदर सहवाग, आकाश चोपड़ा, दिल्ली के क्रिकेटर मिथुन मन्हास और अंजुम चोपड़ा ने भी तारक सिन्हा के निधन पर शोक जताया है। आकाश चोपड़ा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा,’उस्ताद जी नहीं रहे। द्रोणाचार्य अवार्डी कोच, जिन्होंने देश को दर्जन भर टेस्ट क्रिकेटर और सैकड़ों प्रथम श्रेणी क्रिकेटर दिए। पुरुष और महिला। बिना किसी संस्थान की मदद से। भारतीय क्रिकेट में आपकी सेवा को हमेशा याद रखा जाएगा। ॐ शांति।’

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