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NCERT सर्वे में खुलासा : 81 फीसदी स्कूली छात्र पढ़ाई और परीक्षा परिणाम को लेकर चिंतित

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) द्वारा छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के संबंध में किए गए एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि पढ़ाई, परीक्षा और परिणाम स्कूली छात्रों में चिंता का प्रमुख कारण हैं जबकि 33 फीसदी से अधिक छात्र ज्यादातर समय दबाव में रहते हैं। सर्वे में यह भी पाया गया कि कम से कम 73 फीसदी छात्र अपने स्कूली जीवन से संतुष्ट हैं जबकि 45 फीसदी से अधिक छात्र अपनी शारीरिक बनावट को लेकर असंतुष्ट है।

36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 3.79 लाख छात्र सर्वेक्षण में शामिल

NCERT ने 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 3.79 लाख छात्रों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया। मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित पहलुओं पर स्कूली छात्रों के नजरिए को समझने के लिए यह सर्वेक्षण किया गया। इसमें जनवरी से मार्च, 2022 के बीच मध्य स्तर (छठी से 8वीं) तथा माध्यमिक स्तर (9वीं से 12वीं कक्षा तक) के छात्र-छात्रों को शामिल किया गया। एनसीईआरटी ने कहा कि नाम वाले कॉलम को वैकल्पिक बनाकर प्रतिभागियों की निजता सुनिश्चित की गई, ताकि छात्र सहजता से और स्वतंत्र तरीके से जवाब दे सकें।

माध्यमिक स्तर में प्रवेश करने पर व्यक्तिगत व स्कूली जीवन संबंधी संतुष्टि में गिरावट

सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि जब छात्र मध्य से माध्यमिक स्तर में प्रवेश करते हैं, तब उनके व्यक्तिगत और स्कूली जीवन संबंधी संतुष्टि में गिरावट पाई गई। छात्र माध्यमिक स्तर में पहचान संबंधी संकट, रिश्तों के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि, साथियों का दबाव, बोर्ड परीक्षा का डर, भविष्य में दाखिले एवं करिअर को लेकर छात्रों को होने वाली चिंताओं तथा अनिश्चितता आदि चुनौतियों से जूझते हैं।

सर्वेक्षण में पाया गया कि इसमें भाग लेने वाले 81 प्रतिशत छात्रों ने पढ़ाई, परीक्षा और परिणामों को चिंता का प्रमुख कारण बताया। कम से कम 43 प्रतिशत छात्रों ने स्वीकार किया कि वे परिवर्तनों के अनुसार स्वयं को जल्द ढालने में सक्षम रहे और माध्यमिक स्तर (41%) के छात्रों की तुलना में मध्य स्तर (46%) के छात्रों की प्रतिक्रिया अधिक थी।

51 प्रतिशत छात्रों को ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई करने में कठिनाई

सर्वे के अनुसार कुल 51 प्रतिशत छात्रों को ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है जबकि 28 फीसदी छात्रों को सवाल पूछने में झिझक होने का पता चला। इसमें पाया गया कि तनाव से निबटने के लिए छात्रों ने जिन रणनीतियों को सर्वाधिक अपनाया, उनमें योग एवं ध्यान, सोचने के तरीके को बदलने का प्रयास करना और पत्रिकाओं में लिखना प्रमुख रहीं।