नई दिल्ली, 15 सितम्बर। सेवानिवृत्त नौकरशाहों के एक समूह ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि आम आदमी पार्टी (आप) की मान्यता रद की जाए क्योंकि उसके नेता अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों गुजरात में सरकारी अधिकारियों लालच देने का कथित प्रयास किया ताकि कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को फायदा मिल सके।
इन पूर्व अधिकारियों ने तीन सितम्बर को राजकोट में हुए केजरीवाल के संवाददाता सम्मेलन का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने नौकरशाहों को आम आदमी पार्टी के पक्ष में काम करने के लिए उकसाया ताकि चुनाव में पार्टी को जीत मिल सके तथा वे इस प्रयास को सिरे से खारिज करते हैं। पूर्व नौकरशाहों ने सीईसी को लिखे पत्र में कहा कि लालच देने के इस तरह के प्रयासों का उस लोकतांत्रिक तानेबाने पर बहुत असर होता है, जिसके साथ भारत में चुनाव करवाए जाते हैं।
सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने कहा, ‘इसको देखते हुए हम निर्वाचन आयोग से आग्रह करते हैं कि वह आप की एक राजनीतिक दल के तौर पर मान्यता वापस ले क्योंकि इसने चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 का सरेआम उल्लंघन किया है तथा आप के राष्ट्रीय संयोजक का व्यवहार आचार संहिता का उल्लंघन है।’ पूर्व नौकरशाहों का यह भी कहना है कि केजरीवाल की टिप्पणियां जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 के प्रावधानों का भी उल्लंघन करती हैं।