नई दिल्ली, 12 अप्रैल। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर पिछले महीने के 5.09 फीसदी की तुलना में दर मार्च में 10 महीने के निचले स्तर 4.85 फीसदी पर आ गई है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चला है कि मार्च में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति पिछले महीने (फरवरी 2024) के 5.09 प्रतिशत की तुलना में सालाना आधार पर 4.85 प्रतिशत हो गई। रॉयटर्स के एक सर्वेक्षण में महंगाई दर घटकर 4.91 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
पिछले पांच महीने के खुदरा महंगाई के आंकड़े
RBI गवर्नर ने MPC की बैठक के बाद महंगाई पर की थी ये टिप्पणी
उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने FY25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के परिणामों की घोषणा करते हुए मुद्रास्फीति को प्रमुख चुनौती बताया था। उन्होंने इसे “Elephant in the Room” के रूप में संदर्भित किया था। उस दौरान आरबीआई गवर्नर ने संकेत दिए थे कि खुदरा मुद्रास्फीति धीरे-धीरे 4 प्रतिशत की वांछनीय सीमा के भीतर लौट रही है।
क्या है सीपीआई आधारित खुदरा महंगाई दर?
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) उपभोक्ता के दृष्टिकोण से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को मापता है। केंद्रीय बैंक मूल्य स्थिरता बनाए रखने की अपनी भूमिका में इस आंकड़े का इस्तेमाल करता है। पूर्वानुमान से अधिक मजबूत सीपीआई रीडिंग आमतौर पर रुपये की मजबूती के लिए सहायक (बुलिश) होती है, जबकि पूर्वानुमान से कमजोर रीडिंग आमतौर पर रुपये के लिहाज से नकारात्मक (मंदी वाली) होती है।
खुदरा महंगाई के आंकड़े एनएसओ व एमओएसपीआई के फील्ड ऑपरेशंस डिवीजन के कर्मचारियों की ओर से साप्ताहिक रोस्टर के आधार पर राज्यों व संघ शासित प्रदेशों को कवर करते हुए एकत्र किए जाते हैं। इस दौरान 1114 शहरी बाजारों और 1181 गांवों से मूल्यों का आंकड़ा एकत्र किया जाता है। मार्च, 2024 के महीने के दौरान, NSO ने 99.8% गांवों और 98.5% शहरी बाजारों से कीमतें एकत्र की है।