मुंबई, 21 मई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बोर्ड ने 31 मार्च, 2021 को समाप्त हुई नौ माह की लेखा अवधि के लिए सरकार को अधिशेष के रूप में 99,122 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी है। आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया।
आरबीआई की एक विज्ञप्ति के अनुसार बोर्ड ने अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रकोप को कम करने के लिए वर्तमान आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों और हाल के नीतिगत उपायों की भी समीक्षा की। रिजर्व बैंक के लेखा वर्ष को अप्रैल-मार्च (पहले जुलाई-जून) में बदलने के साथ बोर्ड ने नौ महीने (जुलाई 2020-मार्च 2021) की अवधि के दौरान आरबीआई के कामकाज पर चर्चा की।
गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान बोर्ड ने संक्रमण अवधि के लिए रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और खातों को भी मंजूरी दी। बयान के अनुसार बोर्ड ने 31 मार्च, 2021 को समाप्त नौ महीने (जुलाई 2020-मार्च 2021) की लेखा अवधि के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 99,122 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी जबकि आकस्मिक जोखिम बफर को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया।
बैठक में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर महेश कुमार जैन, माइकल देवव्रत पात्रा, एम.राजेश्वर राव और टी. रवि शंकर शामिल हुए। केंद्रीय बोर्ड के अन्य निदेशक एन. चंद्रशेखरन, सतीश के मराठे, एस. गुरुमूर्ति, रेवती अय्यर और सचिन चतुर्वेदी, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव देवाशीष पांडा और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने भी बैठक में भाग लिया।
आरबीआई ने केंद्र सरकार को पिछला सरप्लस स्थानांतरण 2019-20 में 57,128 करोड़ रुपये का किया था. वित्त वर्ष 2018-19 में कुल हस्तांतरण 1,76,051 करोड़ रुपये था, जिसमें उस वर्ष के लिए 1,23,414 करोड़ रुपये का अधिशेष और संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के अनुसार पहचाने गए अतिरिक्त प्रावधानों के मद्देनजर 52,637 करोड़ रुपये का लाभांश शामिल था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह अब तक का सबसे बड़ा सरप्लस ट्रांसफर था।
रिजर्व बैंक की ओर से अधिशेष के रूप में 2013-14 से अब तक केंद्र सरकार को स्थानांतरित धनराशि पर एक नजर –
2013-14 में 52,679 करोड़ रुपये।
2014-15 में 65,896 करोड़ रुपये।
2015-16 में 65,876 करोड़ रुपये।
2016-17 में 30,659 करोड़ रुपये।
2017-18 में 50,000 करोड़ रुपये।
2018-19 में 1,23,414 करोड़ रुपये।
2019-20 में 57,128 करोड़ रुपये।
2020-21 (जुलाई-मार्च) में 99,122 करोड़ रुपये।