नई दिल्ली, 29 जून। कोरोना महामारी से बचाव के लिए किए जा रहे तमाम उपायों के बीच भारत में अमेरिकी कम्पनी मॉडर्ना की वैक्सीन की भी उपलब्धता का रास्ता साफ हो गया, जब मंगलवार को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने सिप्ला/मॉडर्ना को वैक्सीन आयात करने की अनुमति प्रदान कर दी।
सिप्ला ने डीसीजीए की नोटिस का दिया था हवाला
मुंबई स्थित बहुराष्ट्रीय फॉर्मास्युटिकल कम्पनी सिप्ला ने सोमवार को एक आवेदन देकर इस टीके के आयात की अनुमति मांगी थी। इस आवेदन में उसने बीते 15 अप्रैल और एक जून की डीसीजीआई नोटिस का हवाला दिया था। नोटिस में कहा गया था कि यदि टीके को आपात उपयोग अधिककार (ईयूए) के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) से अनुमति मिलती है तो टीके को बिना ‘ब्रीजिंग ट्रायल’ के डिस्ट्रीब्यूशन का अधिकार दिया जा सकता है। इसके अलावा, हर बैच को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल), कसैली से जांच कराने की जरूरत से भी छूट मिल सकती है।
मॉडर्ना चौथी वैक्सीन, जिसे भारत में मिली मंजूरी
डीसीजीआई ने 18 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए इस वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की सिप्ला को मंजूरी प्रदान की है। इसके साथ ही सिप्ला अब इस वैक्सीन का आयात भारत में कर सकेगी। कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक V के बाद मॉडर्ना चौथी वैक्सीन है, जिसे भारत में मंजूरी मिली है।
डीसीजीआई ने इसी माह विदेशी वैक्सीन के नियमों में दी थी ढील
गौरतलब है कि डीसीजीआई ने गत एक जून को ही विदेशी वैक्सीन के लिए नियमों में ढील दी थी। उसने कहा था कि अगर किसी वैक्सीन को अमेरिका, यूरोप, यूके, जापान या डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिल चुकी है तो उसे भारत में ब्रीजिंग ट्रायल करने की जरूरत नहीं है।
डब्ल्यूएचओ से मॉडर्ना को पहले ही मिल चुकी है मंजूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) ने मॉडर्ना को पहले ही मंजूरी दे दी है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार मॉडर्ना की वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 94.1 फीसदी तक असरदार है। उसका कहना है कि मॉडर्ना वैक्सीन की पहले डोज लगने के 14 दिन बाद कोरोना होने का खतरा 94.1 फीसदी तक कम हो जाता है।
फाइजर को भी जल्द मिल सकती है अनुमति
सूत्रों का कहना है कि मॉडर्ना के अलावा फाइजर की वैक्सीन को भी जल्द ही मंजूरी मिल सकती है। पिछले दिनों फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने एक कार्यक्रम में बताया था कि भारत में फाइजर की वैक्सीन की मंजूरी की प्रक्रिया फाइनल स्टेज में है और जल्द ही कम्पनी भारत सरकार के साथ समझौते को अंतिम रुप दे सकती है।