नई दिल्ली, 1 नवम्बर। जाने-माने अर्थशास्त्री व लेखक बिबेक देबरॉय का 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन देबरॉय भारतीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में अपने अहम योगदान के लिए पहचाने जाते थे और उन्होंने देश की आर्थिक नीतियों को आकार देने में मुख्य भूमिका निभाई।
‘पद्मश्री’ से सम्मानित देबरॉय ने पुणे के गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान के कुलाधिपति के रूप में भी कार्य किया था। वह पांच जून, 2019 तक नीति आयोग के सदस्य थे। उन्होंने कई पुस्तकें लिखने के साथ-साथ लेखों का लेखन और संपादन भी किया।
पीएम मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर देबरॉय के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा, ‘मैं डॉ. देबरॉय को कई सालों से जानता हूं। मैं उनकी अंतर्दृष्टि और अकादमिक चर्चा के प्रति उनके जुनून को हमेशा याद रखूंगा। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।’
Dr. Bibek Debroy Ji was a towering scholar, well-versed in diverse domains like economics, history, culture, politics, spirituality and more. Through his works, he left an indelible mark on India’s intellectual landscape. Beyond his contributions to public policy, he enjoyed… pic.twitter.com/E3DETgajLr
— Narendra Modi (@narendramodi) November 1, 2024
पीएम मोदी ने कहा, ‘डॉ. बिबेक देबरॉय एक महान विद्वान थे। वह अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य कई क्षेत्रों में पारंगत थे। अपने कामों के जरिए उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। सार्वजनिक नीति में अपने योगदान के अलावा, उन्हें हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम करना और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाना बहुत पसंद था।’
A man of unusually wide-ranging interests, Bibek Debroy was first and foremost a fine theoretical and empirical economist who worked and wrote on various aspects of the Indian economy. He also had a special skill for lucid exposition, in a manner that would make laypersons easily…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 1, 2024
जयराम रमेश ने भी जताया दुख
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी बिबेक देबरॉय के निधन पर दुख जाहिर किया है। जयराम ने X पर लिखा, ‘बिबेक देबरॉय सबसे पहले और सबसे अहम सैद्धांतिक और अनुभवी अर्थशास्त्री थे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के अलग-अलग पहलुओं पर काम किया और लिखा। उनके पास स्पष्ट व्याख्या करने का एक विशेष कौशल भी था, जिससे आम लोग जटिल आर्थिक मुद्दों को आसानी से समझ सकें। कई वर्षों से उनके पास कई संस्थागत जुड़ाव थे, उन्होंने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है।’