Site icon Revoi.in

राजनीतिक अवसरवाद की गुलामी भारत को आजादी मिलने के दशकों बाद भी जारी : अमर्त्य सेन

Social Share

कोलकाता, 10 जुलाई। विश्व के ख्यातिनाम अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि देश आज भी औपनिवेशिक राजनीतिक अवसरवाद का गुलाम बना हुआ है और इस कारण समुदायों के बीच दरार पैदा की जा रही है। उन्होंने देश के मौजूदा हालात अफसोस जताते हुए कहा कि औपनिवेशिक काल से चली आ रही राजनीतिक अवसरवाद की गुलामी भारत को आजादी मिलने के दशकों बाद भी जारी है।

आज भारतीयों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा

कल्याणकारी अर्थशास्त्र के लिए सुविख्यात सेन ने शनिवार को बंगाल के प्रसिद्ध समाचार पत्र ‘आनंदबाजार पत्रिका’ के शताब्दी समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा, ‘आज भारतीयों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है। राजनीतिक अवसरवाद के कारण हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच दरारें पैदा करने की कोशिशें हो रही हैं।’

88 वर्षीय अमर्त्य सेन ने कहा कि देश के सबसे बड़े समाचार पत्रों में से एक ‘आनंदबाजार पत्रिका’ का पहला संस्करण 13 मार्च, 1922 को प्रफुल्लकुमार सरकार ने निकाला था। जिस अखबार का रूख निश्चित तौर पर राष्ट्रवादी था। यही कारण था कि अखबार को प्रकाशन के समय से ही अंग्रेजों ने उसे अपने लिए खतरे के संकेत की तरह लिया और लाल रंग का बताया था।

अंग्रेजी हुकूमत की तरह आज भी बिना अपराध जेल में डालने का अभ्यास जारी

अखबार के शुरुआती दिनों की बात करते हुए अमर्त्य सेन ने कहा, ‘उस समय आनंदबाजार पत्रिका के लिए काम करने वाले मेरे रिश्तेदारों सहित देश में कई अन्य लोग राजनीतिक कारणों से जेल में थे। तब मैं बहुत छोटा था और उनसे मिलने जेल में गया था। मैं अक्सर सवाल करता था कि आखिर लोगों को बिना किसी अपराध के लिए जेल में डालने की प्रथा कब रुकेगी। बाद में भारत स्वतंत्र हो गया, लेकिन (बिना किसी अपराध के लिए जेल में डालने की प्रथा) का अभ्यास अब भी अस्तित्व में है।’

स्वतंत्र भारत ने कई मोर्चों पर प्रगति की, कई मुद्दे अब भी चिंता का सबब

वयोवृद्ध अर्थशास्त्री ने कहा कि स्वतंत्र भारत ने जहां कई मोर्चों पर प्रगति की है, वहीं गरीबी, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे आज भी हमारे लिए चिंता का सबब बने हुए हैं और अखबार इन्हें वस्तुनिष्ठ तरीके से उजागर कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि न्याय के रास्ते पर चलने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि देश सदैव एकजुट रहे। मैं ऐसे देश में विभाजन नहीं चाहता, जो ऐतिहासिक रूप से उदार रहा हो। देश की एकता को बचाए रखने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा।’