नई दिल्ली/मुंबई, 27 जून। सर्वोच्च न्यायालय तक जा पहुंचे महाराष्ट्र सियासी संकट के बीच सोमवार को एकनाथ शिंदे की अगुआई वाले बागी विधायकों को राहत मिली, जब जस्टिस सूर्यकांत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के डिप्टी स्पीकर की नोटिस पर 11 जुलाई शाम 5.30 बजे तक रोक लगा दी।
डिप्टी स्पीकर और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस, 11 जुलाई को अगली सुनवाई
शीर्ष अदालत ने इसी क्रम में डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल द्वारा एकनाथ शिंदे और 15 अन्य बागी विधायकों के खिलाफ जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ बागी विधायकों द्वारा दायर याचिका पर डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के सचिव, केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर दिया।
मामले की सुनवाई के सुप्रीम कोर्ट ने दौरान पूछा कि जब बागी विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास की नोटिस दी थी तो उसे डिप्टी स्पीकर ने बिना सदन में रखे कैसे खारिज कर दिया? मतलब वह अपने खिलाफ आए नोटिस में खुद ही जज कैसे बन गए?
शिवसेना नेताओं – अजय चौधरी व सुनील प्रभु को भी नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने इसी कड़ी में शिवसेना नेताओं – अजय चौधरी व सुनील प्रभु को भी नोटिस जारी कर पांच दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। यानी 11 जुलाई तक अब बागी विधायकों को अयोग्य साबित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा – 39 विधायकों की आजादी की रक्षा के लिए सरकार पर्याप्त कदम उठाए
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखे और सभी 39 विधायकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए।
शिवसेना के बागी विधायकों ने न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे नीत समूह ‘अल्पमत’ में है और सरकारी तंत्र को ‘नष्ट करने की कोशिश’ कर रहा है। बागियों ने नबाम रेबिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा के उपाध्यक्ष को अयोग्यता याचिका पर निर्णय करने का अधिकार नहीं है।
विधानसभा सचिवालय ने 27 जून की शाम तक बागी विधायकों से मांगा था जवाब
ज्ञातव्य है कि महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने इन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये की मांग पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को ‘समन’ जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था। शिंदे ने महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्यों (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के प्रावधानों के ‘मनमाने और अवैध’ इस्तेमाल को चुनौती देते हुए अपनी याचिका में कहा है कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए विवश हैं।
उनका कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के लिए शुरू की गयी प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है। याचिका में तर्क दिया गया है कि फरवरी 2021 में नाना पटोले के पद से इस्तीफा देने के बाद से अध्यक्ष की सीट खाली है और किसी अन्य के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अयोग्यता याचिका पर निर्णय ले सके, जिसके तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया है।
गौरतलब है कि शिंदे और शिवसेना के विधायकों का बड़ा हिस्सा 22 जून से असम की राजधानी गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए है। बागी विधायकों ने राज्य की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिससे सरकार गिरने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
संजय राउत बोले – 11 जुलाई के बाद शुरू होगी अयोग्यता की प्रक्रिया
इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, ‘हमारे लिए सुप्रीम कोर्ट भगवान है, लेकिन महाराष्ट्र में जनता की भावनाएं अलग हैं। अब 11 जुलाई के बाद बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया शुरू होगी।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे गिरफ्तार करो, मैं यहां शिवसेना भवन में बैठा हूं। अगर मुझे शिवसैनिकों के लिए बलिदान होना है तो हो जाऊंगा। इसमें कौन सी बड़ी बात है।’
बागी विधायक सामने आएं और आंख में आंख डालकर बात करें : आदित्य ठाकरे
वहीं सीएम उद्धव ठाकरे के पुत्र व कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे ने गुवाहाटी में बैठ बागी विधायकों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘सामने आएं और आंख में आंख डालकर हमसे बात करें। यह राजनीति नहीं, सर्कस बन गया है। ये बागी नहीं, भगोड़े हैं। जो भागकर जाते हैं, वे कभी जीतते नहीं हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि कुछ विधायक उनके साथ हैं।